नाटक एजेंडा आजतक -2015
शनिवार (12.12.2015) शाम को आजतक चैनल पर 'एजेंडा आजतक' नाटक देख रहा था।पत्रकार की भूमिका में वित्त एवं सूचना-प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कमाल का काम किया है हालाँकि सब कुछ उन्होंने बहुत ही शार्ट नोटिस पर बिना किसी प्राम्टिंग के किया।
आजतक के एंकर और इस नाटक के निर्देशक पुण्य प्रसून वाजपेयी ने वैसे तो सवाल पूछने का काम किया लेकिन अपने भाव-भंगिमा और लाचारगी में वे विपक्ष कम और नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गाँधी के वकील ज्यादा लगे।राजदीप सरदेसाई का इस नाटक में वकील के असिस्टेंट के रूप में गेस्ट अपीयरेंस था।
नाटक के निर्माता अरुण पुरी ने पत्रकार की भूमिका में आ गए मंत्री को थोड़ी देर के लिए मंत्री का रोल करने का भी मौका तब दे दिया जब उन्होंने उद्योग-धंधों में सरकार की सीधी भूमिका पर एक नीतिगत सवाल पूछ लिया। उनका सवाल सुनकर कुछ मिनटों के लिए सही , यह जरूर लगा कि एक न्यूज चैनल देख रहे हैं।
सबसे अच्छी बात यह रही कि हर कोई उस भूमिका को निभा रहा था जिसके लिए आधिकारिक तौर पर उसे नहीं जाना जाता।यानी वेतन पत्रकार का पर रोल काँग्रेस-वंश के वकील का, वेतन मंत्री का लेकिन रोल पत्रकार का, पद मालिक का लेकिन सवाल एजेंडा सेट करने वाला।इसको कहते हैं रोल रिवर्सल जो बहुत ही मुश्किल काम है।इसलिए सब के सब बधाई के पात्र हैं।
सारी कथा सुनने के बाद गोनू ओझा ने फरमाया कि बहुत पहले कबीर दास कह गए हैं:
'बरसे कंबल भींगे पानी'।
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