Friday, December 11, 2015

ये गाँधी ज़िन्दाबाद, वो गाँधी ज़िन्दाबाद...

चाचा नेहरू ज़िन्दाबाद! इंदिरा गाँधी ज़िन्दाबाद!!
राजीव गाँधी ज़िन्दाबाद!!! सोनिया गाँधी ज़िन्दाबाद!!!!
राहुल गाँधी ज़िन्दाबाद!!!!!प्रियंका गाँधी ज़िन्दाबाद!!!!!!
ये गाँधी ज़िन्दाबाद, वो गाँधी ज़िन्दाबाद...
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एक पार्टी है, नाम है काँग्रेस।इसकी स्थापना हुई 1885 में , एक बरतानवी ए ओ ह्यूम इसके केन्द्र में थे।उद्देश्य था गुहार लगाकर अंग्रेज़ आकाओं से काले अंग्रेज़ों यानी हिन्दुस्तानी बाबुओं के  लिए रियायतें हासिल करना।
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धीरे-धीरे उससे लाल-बाल-पाल और मोहनदास गाँधी जैसे लोग जुड़ गए तो यह पार्टी आजादी की लड़ाई के दीवानों की भी पार्टी बन गई और इससे नेताजी बोस और पटेल जैसे लोग भी जुड़  गए।
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अंग्रेज़ों को यह लगा कि पार्टी हाथ से निकल गई है तो देश का विभाजन कर-कराके बचे भारत की बागडोर मन से अंग्रेज़ जवाहरलाल नेहरू को थमाने में सफल हो ग्ए।राम जाने दोनों के बीच क्या डील हुई, लेकिन नेहरू जी ने काँग्रेस को फैमिली बिजनेस बनाकर ही दम लिया।
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आजकल उसी फैमिली बिजनेस से जुड़े अखबार 'नेशनल हेराल्ड' की दो हजार करोड़ की सम्पत्ति को 90 करोड़ रुपये लगाकर काँग्रेस फैमिली की मुखिया सोनिया गाँधी और उनके बेटे ने अपने और कुछ अपने लगुए-बझुए के नाम करा लिया है तो जाने क्यों इतना हंगामा बरपा है?
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भई, आपको इससे आपत्ति है क्या कि सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे पुरानी पार्टी की कमान  नेहरू परिवार में ही रहती है? नहीं न!
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आपको इससे आपत्ति है क्या कि नेहरू परिवार में जन्मे लोगों को 'राजकुमार' और 'राजकुमारी' कहकर संबोधित किया जाता है? नहीं न!
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फिर उन्होंने अपनी और अपनी पार्टी और पार्टी से जुड़े लोगों की कंपनी में अंतर नहीं किया तो आपको क्यों बुरा लग रहा है?
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राजा-रानी और राजकुमार-राजकुमारी कानून बनाते हैं, कानून उनको नहीं बनाता। वे जो करते-कहते हैं वही कानून हो जाता है।
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तो पहले यह तय कर लीजिए कि देश में राजा-रानी का राज है या लोकतांत्रिक व्यवस्था का।इसके बाद सोनिया-राहुल पर ऊँगली उठाइए।
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चाचा नेहरू ज़िन्दाबाद! इंदिरा गाँधी ज़िन्दाबाद!!
राजीव गाँधी ज़िन्दाबाद!!! सोनिया गाँधी ज़िन्दाबाद!!!!
राहुल गाँधी ज़िन्दाबाद!!!!!प्रियंका गाँधी ज़िन्दाबाद!!!!!!
ये गाँधी ज़िन्दाबाद, वो गाँधी ज़िन्दाबाद...

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