Monday, December 7, 2015

काँग्रसी कार्बाइड से पकेगा हिन्दुओं के 'इस्लामीकरण' का आम?

छह दिसंबर 1992 हिन्दुओं के '#इस्लामीकरण' की पक्की शुरुआत के उदाहरण के रूप में देखा जाना चाहिए।माने कि हिन्दुओं ने #इस्लाम में ईमान रखनेवालों यानी #मुसलमानों को उनकी भाषा में ही समझाने की कोशिश की।

यह काम तब भी #भाजपा के वश का नहीं था और आज भी नहीं है।आंदोलन #विहिप ने खड़ा किया था और मस्जिद ध्वंस हिन्दुओं के मुसलमान यानी #शिवसैनिकों की लीडरशिप में महान काँग्रेसी राजनेता नरसिंह #राव की 'एक तीर से दो शिकार' वाली चुप्पी से संभव हुआ।

ऐसा होने देकर उन्होंने भाजपा की हवा निकाल दी क्योंकि वे जानते थे कि भाजपा मंदिर नहीं बनवा पाएगी भले ही #मस्जिद रहे या टूटे।वे सही थे, इसमें आज किसी को संदेह नहीं होगा।

मंदिर के लिए तब #आंदोलन की जरूरत थी और अब यह काम #आईएसआईएस, #इंटरनेट-
#सोशल मीडिया और  #मोबाइल कर रहे हैं।हिन्दू धड़ल्ले से #कुरान-ए-पाक और #हदीस पढ़ रहे हैं और 1400 साल पुराने इस्लाम के इतिहास की जानकारी इस्लामी स्रोतों से ही प्राप्त कर रहे हैं।

#राममंदिर का मामला नहीं सुलझा तो #काँग्रेस अगला चुनाव काशी-मथुरा-अयोध्या तीनों स्थानों पर मंदिर निर्माण पर लड़ सकती है और यही #सेकुलरिज़म माना जाएगा ।जैसे आज मंदिर विरोध सेकुलरिज़म है वैसे कल मंदिर-निर्माण सेकुलरिज़म होगा क्योंकि वह काँग्रेस के #नेहरू वंश को बचाने का #ब्रह्मास्त्र होगा ।

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