Friday, December 4, 2015

अच्छा है जो सब पढ़ुआ नहीं हुए!

भारत को यहाँ के बुद्धिजीवी लोगों ने इसके इतिहास पर शर्म करना सिखाया है।
इस देश का सौभाग्य है कि संयुक्त राष्ट्र और विश्वबैंक के अनुसार यहाँ करोड़ों लोग अनपढ़ हैं क्योंकि अगर वे भी पढ़ुआ होते तो इस देश को इसकी मानसिक गुलामी से कौन मुक्ति दिलाता?

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