Friday, December 4, 2015

क्या सैनिकों ने देशभक्ति और शहादत की सुपारी ले रखी है?

क्या #सैनिकों ने #देशभक्ति की #सुपारी ले रखी है?
क्या देशभक्ति सिर्फ #सीमा पर ही साबित होती है?
क्या देश की #सुरक्षा सिर्फ सैनिकों के ही द्वारा होती है?
क्या दसवीं सदी से 1947 तक #भारत में सैनिक नहीं थे?
क्या यहाँ के #योद्धा इस बीच #हिमालय_प्रवास पर चले गये थे? क्या सैनिक और योद्धा किसी और ग्रह से लाये जाते हैं?
वे इस समाज की ऊपज नहीं होते?
अगर आज की हर अच्छी चीज के लिए सैनिकों को ही क्रेडिट दिया जाए तो फिर हजार साल का डिसक्रेडिट भी फौजियों के सर मढ़ देना चाहिए?
#अंग्रेज़ों_के_खिलाफ लड़ते हुए
#स्वतंत्रता_सेनानियों_पर_गोली चलानेवालों में ज्यादा #हिन्दुस्तानी_फौजी थे या #गोरे? #जालियाँवाला_बाग में गोली बरसानेवाले कौन थे? #अंग्रेज़ या हिन्दुस्तानी सैनिक?
तो मित्रों, सवाल सिर्फ यह नहीं है कि हमारे समाज में सैनिक हैं या नहीं, सवाल यह है कि वे #किसके और #किसलिए_सैनिक हैं।उनका मन कहाँ से चालित होता है और उन्हें #आदेश कौन देता है?
और हाँ, सीमा पर देश तभी सुरक्षित होता है जब सीमा के अंदर #स्वतंत्रचेता_बुद्धिवीर बसते हों।
#चन्द्रगुप्त तो गली-गली में घूम रहा है, उसे पहचाने वह #चाणक्य कहाँ है?

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