Friday, December 4, 2015

सेकुलर-लिबरल सहिष्णु जनों से कुछ ज़ाहिलिया सवाल

सेकुलर-लिबरल सहिष्णु जनों से कुछ ज़ाहिलिया सवालः

1. कश्मीर से हिन्दुओं के बेवतन किये जाने पर आपके तथ्य क्या कहते हैं?
2. अब्दुल कलाम के बनिस्बत  याकूब मेमन को मिले जबर्दस्त समर्थन पर आपकी क्या दृष्टि है?
3. शाहबानो केस में 'शहीद' हुए आरिफ मुहम्मद खान के राजनीति से जलावतन हो जाने और अधिसंख्य मुसलमानों द्वारा नकार दिये जाने पर आपकी क्या राय है?
4. टीवी पर अपना पक्ष रखने के लिए हिन्दू-सिख-ईसाई-जैन-बौद्धों में से विशेषज्ञ बुलाये जाते हैं जबकि मुसलमानों में से सिर्फ कठमुल्ले, क्यों?
5. अब्दुल कलाम या रसखान या रहीम या कबीर या दारा शिकोह जैसे लोग मुसलमानों के आइकाॅन क्यों नहीं हैं?

सेकुलर-लिबरल-लेफ्ट मित्रों कुछ बोलिए तो सही, मुँह में दही जमाकर बैठने पर 'असहिष्णुता' फैलती चली जाएगी और असहिष्णु लोग उजाले पर अंधकार का राज कायम करने में सफल हो जाएँगे।
फिर आईएसआईएस, तालिबान, अलक़ायदा जैसे संगठनों के साथ कितना अन्याय हो जाएगा?
कश्मीर के मुसलमान फिर से दुखी हो जाएँगे और इस बार पूरे हिन्दुस्तान से हिन्दुओं के निकाले जाने की गुहार संयुक्त राष्ट्र से लगाने लगेंगे।

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