Friday, December 4, 2015

आमिर खान को खुला पत्र:असहिष्णुता कब और किसकी?


डियर आमिर खान
असहिष्णु भारत के बारे में मैं यहां कुछ पॉइंट्स रख रहा हूं और इनकी ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।
1. पिछले करीब 25 साल से सलमान खान, शाहरुख खान और स्वयं आप बॉलिवुड के सुपरस्टार बने हुए है। इससे ऐसा कभी नहीं हुआ जब एक साथ तीन हिंदू सुपरस्टारों ने हिंदूबहुल इस देश के लोगों के दिलोदिमाग पर इतने लंबे समय तक राज किया हो। क्या ये तमाम हिंदू ईडियट्स हैं?
2. मैं एक ऐसे देश का नागरिक हूं, जहां हिंदुओं की संख्या कुल आबादी की लगभग 80 फीसदी है। इसके बावजूद उन्होंने दक्षिणपंथी हिंदूवादी पार्टी (जैसा कि आप जैसे लोग बोलते हैं) जनसंघ को तब तक सत्ता में नहीं आने दिया, जब तक 1977 में तमाम छोटे-छोटे राजनीतिक दलों के साथ उसका जनता पार्टी के रूप में विलय नहीं हो गया। हिंदू कितने बड़े ईडियट्स हैं। नहीं?
3. आजादी के बाद कई सांप्रदायिक तनावपूर्ण स्थितियां पैदा हुई हैं, लेकिन सिवाय एक घटना के अल्पसंख्यक लोगों को कभी अपना घर छोड़कर नहीं जाना पड़ा और वह घटना हुई कश्मीर में जहां हिंदू माइनॉरिटी में हैं। इसके बाद आने वाली सरकारों और मीडिया ने मुस्लिम वोट बैंक की खातिर इस घटना के शिकार हुए लोगों को ही दोषी ठहरा दिया और हिंदूबहुल इस देश के लोगों ने इस बात को आसानी से स्वीकार कर लिया। कितने बेवकूफ हैं इस देश के हिंदू!
4. जम्मू-कश्मीर में ही दिसंबर 2014 में हुए चुनावों में बीजेपी को सबसे ज्यादा वोट मिले और वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला। उसने जो भी सीटें जीतीं, वे हिंदूबहुल जम्मू क्षेत्र की हैं। बीजेपी ने जब सरकार बनाने की कोशिश की तो उसकी कोशिशों को इस आधार पर कम्युनल कहा गया कि उसने मुस्लिम बहुल घाटी में एक भी सीट नहीं जीती है। घाटी से हिंदुओं को 1989-90 में भगा दिया गया था। क्या हिंदू ईडियट्स नहीं हैं?
5. एक बार तथाकथित सेकुलर पीएम राजीव गांधी ने मुस्लिम फंडामेंटलिस्ट के दबाव में आकर शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को निष्प्रभावी कर दिया था। राजीव गांधी ने संसद में अपने जबर्दस्त बहुमत के बल पर ऐसा किया और 60 साल की उस बूढ़ी महिला को उसके हाल पर छोड़ दिया। आरिफ मोहम्मद खान ने जब इसका विरोध किया तो उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा और अधिसंख्य मुसलमानों ने उन्हें अपना नेता नहीं माना। अगर मैं खान होता, तो मैं आरिफ मोहम्मद खान के लिए जरूर लड़ता।
6. अगर मैं खान होता तो मैं जर्नलिस्ट शाहिद सिद्दीकी के लिए भी लड़ता जिन्होंने एक बार कह दिया था कि हिंदूबहुल भारत में मुसलमानों को सेकुलरिजम और वोट बैंक की राजनीति के नाम पर जजिया (वोट) देने के लिए बाध्य किया जाता है।
7. अक्सर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, जब शादीशुदा हिंदू अपनी पत्नी को कानूनी रूप से तलाक दिए बिना अपनी प्रेमिका से ब्याह करने के लिए औपचारिक रूप से इस्लाम अपना लेते हैं जैसा कि धर्मेंद्र ने हेमामालिनी के साथ ब्याह करने के लिए किया। अगर मैं खान होता तो मेरा सिर ऐसी घटनाओं पर शर्म से झुक गया होता। जरा बताएं ऐसे महिलाविरोधी लॉ भारत के अलावा और कितने देशों में हैं?
8. अगर खान होने का मतलब धर्म के नाम पर समानता, भाईचारे और दया जैसे भावों के साथ समझौता करना है, तो मैं कभी खान नहीं बनना चाहूंगा।
आपका,
चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह ।

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home