Wednesday, December 9, 2015

मैडम गाँधारी ने लगाई सासु माँ की गुहार तो पप्पू को पप्पा याद आ गए!

अदालत ने बुलाया तो मैडम को सासु माँ याद आ गईं।वही सासु माँ जिन्होंने पंजाब में आतंकवाद को बड़े जतन से पाला-पोसा था ताकि अकाली दल को मात दी जा सके।बाद में इसी मानस -संतान ने अपना कर्ज उतारते हुए उन्हें शहादत बख्श दी।
वैसे सासु माँ ने अपने पिता नेहरू जी की याद में आपातकाल भी लगाया था और उनकी लोकतांत्रिक निष्ठा के मद्देनजर अपने सेकुलर चीफ पुरोहित देवकांत बरुआ से एक मंत्रजाप भी कराया था:
इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया।

अब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी पार्टी की 'आपातकाले विपरीत बुद्धि' हो गई तो इसको तूल देना तो परले दर्ज की असहिष्णुता है और यह हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति के खिलाफ है। इसको कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
मैडम को कल अपने हसबेंड की भी दुहाई देनी पड़ सकती है जिन्होंने इंदिरा जी को याद करते हुए पड़ोसी देश के बिगड़ैल बच्चे -लिट्टे- को  गोद ले लिया था।संयोगवश उसी बच्चे ने उन्हें शहीद का दर्जा दिलाया।आब ऐसे शहीद पप्पा की याद पप्पू को कैसे न आए।

इतने बड़े लोकतंत्र में जब एक ही परिवार में इतने शहीद हों और तीन-तीन भारतरत्न हों तो प्रेरणा के लिए बाहर जाने की क्या जरूरत?
लेकिन मिथिला के गोनू ओझा को हमेशा की तरह उल्टा ही सूझता है।बोलने लगे, 'सासु माँ संजय गाँधी के लिए वैसे ही गाँधारी बन गई थीं जैसे मैडम पप्पू के लिए।नेहरू भी तो मैडम की सासु माँ के लिए धृतराष्ट्र बन गए थे'।
अपन तो गोनू ओझा के पास जाते ही नरभसिया जाते हैं।
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