Wednesday, December 23, 2015

कुमारिलभट्ट ब्रिगेड क्यों ?

भारतीय बुद्धिजीवियों की मानसिक गुलामी से तंग कुछ बुद्धिमानों  का यह मानना है कि जबतक देश के शीर्ष संस्थानों पर आयातित विचारों की जुगाली में मस्त और बुद्धि के लिए बुद्धि का नारा देनेवाले बुद्धिविलासी गिरोह का कब्जा रहेगा तबतक बुद्धिवीरों का अकाल बना रहेगा जो देश हित में निर्भीक होकर सोचते और उस सोच पर अमल करने की क्षमता रखते हैं।
इस अकाल में अगर किसी का साम्राज्य है तो वे हैं बुद्धिवंचक जो सबकुछ जानते-बूझते भी रात-दिन निहित स्वार्थ साधने मे लगे रहते हैं ।लेकिन इन सबों से निबटने में राष्ट्रप्रेमी दल अमूमन बुद्धिविरोधियों जैसा बर्ताव करता है जिसे देख कोई बुद्धू भी शरमा जाए।
तो सवाल उठता है कि बुद्धिविलासी और बुद्धिवंचकों के कुपढ़ गिरोह के सामने जो अधपढ़ और अनपढ़ देशप्रेमी बुद्धिविरोधियों  की गतिमति है उसे सुपढ़ बुद्धिवीर कैसे सुधारेंगे।ऐसा नहीं हुआ तो गाँव-देहात की यह अनुभवजन्य
धारणा बलवती होतीं जाएगी कि
'जे जेतना पढ़ुआ ऊ ओतना भड़ुआ'।
इसी के मद्देनजर देशहित-व्याकुल-बुद्धिवीरों का एक मंच तैयार हो रहा है जिसका नाम है "कुमारिलभट्ट ब्रिगेड" ।

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