वाद का झमेला एक विदेशी सेमेटिक लोचा है
कोई भी वाद दुनिया को देखने का एक नजरिया मात्र है जो कभी भी सोलह आने सच नहीं हो सकता।समस्या तब होती है जब किसी वाद को जीवन को जानने-समझने का एकमात्र तरीका मान लेते हैं।इस समस्या की जड़ में हैं सामी मत (ईसाइयत, इस्लाम, साम्यवाद) जिनका मूल मंत्र हैः
हम ही हम बाकी सब खतम।
बाकी सनातन तो 'वसुधैव कुटुंबकम्' मानता है जिस कारण सभी सताए मतवादी --यहूदी, पारसी, ईसाई, सूफी--भागकर भारत में शरण पाते थे।ईसा मसीह भी भागकर भारत आये थे और लंबी आयु में कश्मीर में मरे जहाँ रोजबल में उनकी मज़ार है।इसी सचाई का बयान करने के कारण सेकुलर-लिबरल-लोकतांत्रिक अमेरिका में ओशो को जहर दिया गया था और देश-निकाला भी।
हम ही हम बाकी सब खतम।
बाकी सनातन तो 'वसुधैव कुटुंबकम्' मानता है जिस कारण सभी सताए मतवादी --यहूदी, पारसी, ईसाई, सूफी--भागकर भारत में शरण पाते थे।ईसा मसीह भी भागकर भारत आये थे और लंबी आयु में कश्मीर में मरे जहाँ रोजबल में उनकी मज़ार है।इसी सचाई का बयान करने के कारण सेकुलर-लिबरल-लोकतांत्रिक अमेरिका में ओशो को जहर दिया गया था और देश-निकाला भी।
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