Tuesday, April 5, 2016

आईपी यूनीवर्सिटी की नेशनल रैंकिंग 21, लेकिन खुशी किसे है कैसे पता चलेगा!

(हमारी आई पी यूनिवर्सिटी की नेशनल रैंकिंग 21 आने पर भी खुलकर खुशी सिर्फ प्रो सरोज शर्मा ने जताई, बाकी सब मौनी बाबा बने रहे।इसी पर पहली बार यह पोस्ट यूनिवर्सिटी शिक्षकों-कर्मचारियों के एक ह्वाट्सऐप ग्रुप पर थोड़ी देर पहले लिखी गई जो 19 वीं सदी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार बालमुकुंद गुप्त के काॅलम 'शिवशंभो के चिट्ठे' से प्रेरित है।)
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अरे, आपने तो कुफ़्र बरपा कर दिया, प्रो सरोज शर्मा! इससे तो पूरा क्रेडिट प्रो अग्रवाल(पहले कुलपति) और प्रो बंद्योपाध्याय (दूसरे कुलपति) को मिल जाएगा क्योंकि 18 सालों में तो सिर्फ दो ही साल हुए हैं प्रो त्यागी के? कहीं वे नाराज हो गए तो? बाप रे! अब क्या होगा?
खैर, आपको बहुत-बहुत बधाई कि आपने विश्वविद्यालय की उपलब्धि पर खुशी जाहिर की , उस विश्वविद्यालय की जिसके वर्तमान कुलपति प्रो त्यागी हैं और जिनको, मेरा विश्वास है, विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर नैसर्गिक खुशी हुई होगी, वैसे ही जैसे प्रो अग्रवाल और प्रो बंद्योपाध्याय को।
दूसरी बात, किसी भी विश्वविद्यालय को 'कुलपति' से ज्यादा वे 'कुल' बनाते हैं जिनके के वे 'पति' होते हैं।कोई शक?
हे, बुद्धि की प्रतिमूर्ति पेनड्राइव सरीखे नक्काल पद-अधिकारी (आपके बारे में नोबेल विजेता आक्टेवियो पाज़ ने यही कहा था) बेजुबान वर्ग, चलिये आपकी खुशी व्यक्त करने की सुपारी मैं लेता हूँ और अपने विश्वविद्यालय कुल के कुलपति समेत समस्त कुल को बधाई देता हूँ ।
याद रखिए, आपके विदेशी मानस माता-पिता आपको गौरवान्वित होने का टाॅनिक नहीं देंगे, नहीं ही देंगे।यह आपको खुद अपने अंदर पैदा करना होगा।
इस देश के पास बुद्धि की कभी कमी नहीं थी, पिछले हजार सालों की गुलामी ने जरूर इसके अंदर कूट-कूटकर कायरता भर दी थी जिसका इजहार अभी आपलोगों ने किया।लेकिन प्रो सरोज शर्मा, प्रो विजेता सिंह और डा वत्स को कोटिशः नमन खुशी को अभिव्यक्त करने की पहल के लिए।

आपलोगों में से कितनों की टेक्स्ट बुक किसी प्रतिष्ठित प्रकाशन समूह से 35 साल की आयु में प्रकाशित हुई थी? वह भी समसामयिक चुनौतीपूर्ण विषय पर?

अगर आपकी अंतरात्मा जिन्दा बची हो तो अपने ही  विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कालर सुरेश कुमार के प्रति जो भी आपके भाव हों (खुशी के ही होंगे, होंगे न?) जरूर व्यक्त करियेगा।

(नोटः इस पोस्ट से किसी की भावना आहत होती हो तो मेरे खिलाफ सीधे अदालत जाये, वकील और खर्च मेरा।मतलब यह कि बकलोली और सत्यनारायण कथा के अलावा अपनी असली उपलब्धियों पर झूमना सीखिये।)
+++++++प्रो सी पी सिंह+++++++




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