Monday, May 2, 2016

लालू-कन्हैया की जोड़ी: सेकुलर भाय-भाय, नंगा डरे खुदाय

लालू-कन्हैया: नंगा डरे खुदाय

जेएनयू छात्रसंघ के क्रांतिकारी अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पटना में चारा घोटाला अध्यक्ष लालू प्रसाद से चरणामृत लेते देख
लल्लू टाइप लोग सिर धुनने लगे: भाई,
नंगेपन की भी हद होती है!

इन्हें कौन समझाये कि सेकुलरबाज़ों का तो उसूल है: नंगा डरे खुदाए! तभी तो कन्हैया बाबू जेएनयू के नियमों को धता बताते हुए उनके साथ खड़े हो गए जिनका नारा-ए-तकबीर था:
"भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह"।

जब इससे भी मन नहीं भरा तो उन्होंने आजादी माँगी:
"कश्मीर माँगे आजादी
बंगाल माँगे आजादी
केरल माँगे आजादी"।

इस पर सेकुलर दास से रहा नहीं गयाः आखिर लालू प्रसाद को भी तो 'चारा खाने की आजादी' चाहिए।गाय-भैंस के प्रति गहन संवेदना के चलते गरीबों के मसीहा ने अन्न छोड़ चारा ग्रहण करने का व्रत क्या लिया कि मनुवादियों का सिंहासन हिलने लगा।ऐसे में सेकुलर-एकता जरूरी है कि नहीं?

सेकुलर दास का इतना कहना था कि लल्लू टाइप लोग कंट्रोल से बाहर हो गए:
भई हमने इनके नंगेपन को इन्हीं की भाषा में उजागर कर दिया तो ये "अखलाक उल्लाह,  अखलाक उल्लाह" कहते हुए मूसबिल्लों की तरह बाहर निकल बिलबिलाने लगे। लेकिन हम भी अपने तेल पिलाए डंडों से दे तरातर करने में कोताही नहीं करेंगे।

मैंने पूछा: क्या आप इन पर हमले करेंगे? वे अधरोष्ठों में मुस्कराये फिर कहने लगे: हम इनके दोहरेपन के खिलाफ विमर्श जेहाद करेंगे।
घोटालेबाज़ ये, अपराधी ये, देशतोड़क ये, दंगाई ये, सांप्रदायिक ये, बलात्कारियों के पालक ये, नरसंहारी ये, वंशवादी ये फिर भी  सेकुलर और लोकतांत्रिक भी ये ही?

अब लल्लू सरदार को कौन समझाये कि जीवन भर के पाप सेकुलर-गंगा में एक डुबकी मात्र से धुल जाते हैं और श्रद्धालु फ्रेश होकर भ्रष्टाचार और अपराध के अगले अभियान पर निकल पड़ता है।

मैंने जब यह कहा कि सेकुलरबाज़ों की अमेरिकी और यूरोपीय मम्मियाँ उनपर काफी लार बरसाती रही हैं तो लल्लू सरदार अपनी हँसी रोक नहीं पाए:
बकरे की माँऽऽऽ कबतक खैर मनाएगीऽऽऽ?

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