Thursday, December 22, 2016

आख़िर जाति क्यों नहीं जाती?

आख़िर जाति क्यों नहीं जाती?

मेरे मित्र Gunjan Sinha जी का कहना है कि "हमारी पीढ़ी नाम से जातिसूचक सरनेम नही हटा सकी . जेपी के समय एक आन्दोलन शुरू हुआ था लेकिन जातीय राजनीति ने उसे खत्म कर दिया. कानून बना कर सभी जातिसूचक सरनेम खत्म करना जरुरी."

इस उपसंहार का यह मतलब हुआ कि जाति हर प्रकार से त्याज्य है। कुछ सवाल:
1. जाति, जात और वर्ण क्या एक ही हैं?
2.जाति को जिस रूप में आज हम जानते हैं और जिस रूप में अंग्रेज़ों और उनकी मानस संतानों ने हमें इसके बारे में बताया है, क्या जाति हमेशा ऐसी ही थी?
3. जाति के वर्तमान स्वरूप में इस्लामी हमलावरों और अंग्रेज़ों की क्या भूमिका थी?
4. जाति की वो कौन सी ताक़त है जिस कारण वह अबतक टिकी हुई है?
5. क्या हमारा संविधान जाति को ख़त्म करना चाहता है?
6. क्या किसी भी घटना के सारेे पहलुओं के बारे में पक्की जानकारी न होने का मतलब उन पहलुओं की अनुपस्थिति का प्रमाण है ( Does absence of evidence mean evidence of absence) ?

डॉ त्रिभुवन सिंह
डॉ Surendra Solanki
24।9।16

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home