Thursday, December 22, 2016

माया के गुलाम गीदड़ का जाने बंदगी

माया के गुलाम गीदड़ का जाने बंदगी...

POK में सर्जिकल स्ट्राइक पर तब से असली खबरें आना शुरू हुई हैं जब से सेकुलर-वामियों का पाक-सेना से डायरेक्ट संपर्क हुआ है। वे कह रहे हैं कि पाकिस्तान सीमा में सर्जिकल स्ट्राइक की बात झूठी है।

2011 में पाकिस्तान के ही अब्बोटाबाद में अमेरिकी सर्जिकल स्ट्राइक में ओसामा बिन लादेन की मौत के बारे में भी पाक-सेना को कहाँ पता था।

फिर POK है तो हिन्दुस्तान का ही हिस्सा। मतलब ये कि स्ट्राइक-फेस्ट्राइक हुआ है तो सीमापार नहीं, सीमा के अंदर हुआ है। अब LoC को भी इसी हिसाब से एडजस्ट कर लेना चाहिये।

आपलोग नवाज़ शरीफ़ की बातों पर ध्यान न दें। उन्होंने बिना जाने ही सर्जिकल स्ट्राइक की निंदा की है। पाकिस्तान में सेना का शासन है, विश्वसनीय शासन है। हमारे सेकुलर-वामी उनपर विश्वास भी करते हैं।

पाक-सेना का चीन से गहरा रिश्ता है। हमारे सेकुलर-वामी भी चीन पर विश्वास करते हैं, इतना विश्वास कि उनके एक बड़े तबके ने तो 1962 के हमले का 'क्रान्ति की लाल किरण' कहकर स्वागत किया था।
सीपीएम महासचिव सीताराम यचुरी ने तो 1989 के थिअनमान स्क्वायर काण्ड को ही पूंजीवादी साज़िश करार दिया था।
नेहरू जी ने हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा देते हुए आयुध फैक्टरियों में हथियार उत्पादन को ही बेकार कह दिया था।

ये पढ़े-लिखे लोग हैं, विश्वास ही इनकी पूँजी है। इनको तथ्य, तर्क और सत्य से कब्ज़ियत होती है। मूर्ख भक्तों को यह बात थोड़े न समझ आएगी। वे क्या जाने पाक-चीन की सेकुलर-वामी आराधना के लाभ?
कबीरदास कह गए हैं:
माया के गुलाम गीदड़ का जाने बंदगी।
1।10।16

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