Thursday, December 22, 2016

युद्ध चाहे दिमाग का हो या जमीन का, बिना युद्ध शांति नहीं

युद्ध चाहे दिमाग का हो या जमीन का, बिना युद्ध शांति नहीं

■ बिना युद्ध शांति नहीं। 1947 से पाकिस्तान भारत पर चार हमले कर चुका है । ऐसा उसने इस्लामी आदेश ग़ज़वा-ए-हिन्द के तहत किया है। ख़लिस्तान आन्दोलन और कश्मीर में कश्मीरियत को मार वहाबी सुन्नत को जगाना और कश्मीरी हिंदुओं का जातिनाश भी इसी के हिस्से हैं।

■ पाकिस्तान के हिंदुओं का भी जातिनाश हो चुका है, एकदम शांतिपूर्वक। इसपर मैंने किसी सेकुलर-वामी-इस्लामिस्ट-इवांजेलिस्ट को कलम चलाते नहीं देखा। स्टालिन और माओ के सामने तो  हिटलर भी पानी भरें। उसके पहले की कल्ला मीनारों (मानव खोपड़ियों से बनी मीनारें) को तो आप जानते ही होंगे जिन्हें इस्लामी हमलावरों ने बनवाईं थी।

■ भारत के सेकुलर-वामी-इस्लामिस्ट तभी तक शांति के कबूतर उड़ाते हैं जबतक सत्ता से बाहर हों या हिंसा बरपा करने में सक्षम नहीं हों। बंगाल, कश्मीर, केरल इसके उदाहरण हैं।

■ अब एटमी हथियार की बात हो जाए। अमेरिका अगर जापान में एटम बम नहीं गिराता तो न द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म होता न ही दुनिया में इतने समय तक शांति रहती। दूसरी बात, युद्ध अपने दम और हिम्मत से लड़े जाते हैं, दूसरों की बदौलत और बौद्धिक कायरता से नहीं।

■ पाकिस्तान सिर्फ और सिर्फ मामूली लड़ाई लड़ेगा। उसको मालूम है भारत ने इस्राइल से जाना है कि जेहादियों से कैसे लड़ते हैं। असली लड़ाई मन की है।

■ आईएसआईएस का बग़दादी भारत, यूरोप और अमेरिका को तो बर्बाद करने की धमकी देता है लेकिन पड़ोसी इस्राइल को नहीं। क्यों? क्योंकि उसे पता है कि इस्राइल इस्लामी जिहाद को डिकोड करना जानता है और दशकों से उसकी भ्रूणहत्या करता रहा है। POK में जेहादी शिविर पर सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने वैसी ही भ्रूणहत्या की है। और इसको सार्वजनिक कर पाकिस्तान की इस्लामी ग़ाज़ी सेना का मनोबल तोड़ा है।

■ ये सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय अभिजात की बौद्धिक नपुंसकता और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के मन में पल रहे 'पाकिस्तान' पर भी है। भारत बदल रहा है। जिसे न दिख रहा हो वह आँखों का ऑपरेशन करा ले।

■ आत्मघाती हमलों को पचाने के लिए भारत को तैयार रहना चाहिये। ये और बढ़ेंगे। पाकिस्तान का सबसे बड़ा, एटम बम से भी बड़ा, हथियार है यह।
1।10।16

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