Thursday, December 22, 2016

आज समुद्रमंथन के अमृत होंगे गाँधी और नेहरू हलाहल

आज समुद्रमंथन के अमृत होंगे गाँधी
और नेहरू हलाहल

■ भारत का असली संघर्ष देसी सोच वाले बुद्धिवीरों और पश्चिमी सोचवाले मानसिक ग़ुलामों के बीच है। इसमें मानसिक ग़ुलामों के अगुआ सेकुलर-वामी लोग मुस्लिम और ईसाई कन्धों का बख़ूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत में हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष स्थायी नहीं होगा (क्योंकि बहुसंख्यक सनातनी समावेशी है) और इसके भीषण हिंसक रूप वहीं होंगे जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक होंगे। पाकिस्तान वहीं बना जहाँ मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक थी, कश्मीर की वर्तमान समस्या भी उसी का विस्तार है।

■ फिलवक्त  भारतीय मनीषा आत्मपहचान और आत्माभिव्यक्ति की प्रसवपीड़ा से गुजर रही है।हज़ार बरस पहले इस्लामी हमले के बाद इन्हीं कारणों से भक्ति आन्दोलन एक अखिल भारतीय सर्वसमावेशी आन्दोलन बन पाया था। और आज का समुद्रमंथन भी ब्रिटिश औपनिवेशिक दबदबे के बौद्धिक वाहकों (नौकरशाही, वोटबैंक की राजनीति, अंग्रेज़ियत से लबरेज़ शिक्षण संस्थान और विधितंत्र) को विमर्श द्वारा विस्थापित करने के लिये है।

■ यह निश्चित रूप से किसी मजहब के खिलाफ नहीं है, क्योंकि इसका उद्देश्य खुद की पुनरूपलब्धि है। आज के समुद्रमंथन के अमृत होंगे गाँधी (इसलिए उनके कद को छोटा करने की छिटफुट कोशिशें अभी से दिखने लगी हैं) और हलाहल होंगे नेहरू।
■ इंटरनेट-मोबाइल पर सवार इस भक्ति आन्दोलन के करोड़ो योद्धा अहर्निश संघर्षरत हैं।
3।10।16

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home