सर्जिकल स्ट्राइक और मुस्लिम बुद्धिजीवी
सर्जिकल स्ट्राइक और मुस्लिम बुद्धिजीवी
■ मज़े की बात है कि भारत के अधिसंख्य मुसलमानों के जो नायक हैं उनके नाम पर पाकिस्तान की मिसाइलों के भी नाम हैं: बिन क़ासिम, अहमद शाह अब्दाली, मुहम्मद ग़ौरी। क्या यह संयोगमात्र है?
■ सर्जिकल स्ट्राइक पर भारत के मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आमतौर पर चुप्पी साध रखी है या फिर बेमन से उसकी बड़ाई की है। कुछ ने शांति के कबूतर भी उड़ाये हैं, बिना यह सोचे कि मुम्बई, संसद, पठानकोट और उरी हमलों में पाकसमर्थित जेहादियों का उतना ही रोल है जितना कश्मीर में आज़ादी के नाम पर निज़ामे मुस्तफ़ा के लिए।
■ ये लोग शाहबानो, तीनतलाक़, कश्मीर में हिंदुओं के जातिनाश, गोधरा नरसंहार, बुलंदशहर में जिहादी बलात्कार, कैराना से हिन्दू पलायन आदि पर भी चुप ही रहते हैं जबकि याकूब मेमन- अफ़ज़ल गुरु को फाँसी, गुजरात दंगे, समान-नागरिक संहिता-विरोध आदि की माला जपते रहते।
■ वैसे इनको डिकोड करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप एक सर्वे करिये जिसमें सिर्फ यह पूछिये कि इनके नायक कौन हैं:
● जावेद अख़्तर या ज़ाकिर नाइक ?
● दाऊद इब्राहिम या अज़ीम प्रेमजी?
● याकूब मेमन या अब्दुल कलाम?
● ओवैसी या आरिफ़ मोहम्मद ख़ान?
● औरंगज़ेब या दारा शिकोह?
● संत कबीर या सिकंदर लोदी?
● बाबा बुल्लेशाह या अहमद शाह अब्दाली?
● अब्दुल बिन क़ासिम या अकबर?
■ मेरे सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा शांतिदूतों के नायक हैं: ज़ाकिर नाइक, दाऊद इब्राहिम, याकूब मेमन, ओवैसी, औरंगज़ेब, सिकंदर लोदी, अब्दुल बिन क़ासिम और अहमद शाह अब्दाली। ये वही अब्दाली है जिसको लेकर पंजाब में लोकोक्ति है:
खादा पीता लाहे दा
बाकी अहमद शाहे दा।
(जो खा-पी-पहन लो वही तुम्हारा है, बाकी तो अहमद शाह अब्दाली लूटकर ले ही जायेगा।)
■ उपसंहार: पाकिस्तान महज एक मुल्क नहीं है, वह एक मानसिकता भी है।
1।10।16
■ मज़े की बात है कि भारत के अधिसंख्य मुसलमानों के जो नायक हैं उनके नाम पर पाकिस्तान की मिसाइलों के भी नाम हैं: बिन क़ासिम, अहमद शाह अब्दाली, मुहम्मद ग़ौरी। क्या यह संयोगमात्र है?
■ सर्जिकल स्ट्राइक पर भारत के मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आमतौर पर चुप्पी साध रखी है या फिर बेमन से उसकी बड़ाई की है। कुछ ने शांति के कबूतर भी उड़ाये हैं, बिना यह सोचे कि मुम्बई, संसद, पठानकोट और उरी हमलों में पाकसमर्थित जेहादियों का उतना ही रोल है जितना कश्मीर में आज़ादी के नाम पर निज़ामे मुस्तफ़ा के लिए।
■ ये लोग शाहबानो, तीनतलाक़, कश्मीर में हिंदुओं के जातिनाश, गोधरा नरसंहार, बुलंदशहर में जिहादी बलात्कार, कैराना से हिन्दू पलायन आदि पर भी चुप ही रहते हैं जबकि याकूब मेमन- अफ़ज़ल गुरु को फाँसी, गुजरात दंगे, समान-नागरिक संहिता-विरोध आदि की माला जपते रहते।
■ वैसे इनको डिकोड करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप एक सर्वे करिये जिसमें सिर्फ यह पूछिये कि इनके नायक कौन हैं:
● जावेद अख़्तर या ज़ाकिर नाइक ?
● दाऊद इब्राहिम या अज़ीम प्रेमजी?
● याकूब मेमन या अब्दुल कलाम?
● ओवैसी या आरिफ़ मोहम्मद ख़ान?
● औरंगज़ेब या दारा शिकोह?
● संत कबीर या सिकंदर लोदी?
● बाबा बुल्लेशाह या अहमद शाह अब्दाली?
● अब्दुल बिन क़ासिम या अकबर?
■ मेरे सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा शांतिदूतों के नायक हैं: ज़ाकिर नाइक, दाऊद इब्राहिम, याकूब मेमन, ओवैसी, औरंगज़ेब, सिकंदर लोदी, अब्दुल बिन क़ासिम और अहमद शाह अब्दाली। ये वही अब्दाली है जिसको लेकर पंजाब में लोकोक्ति है:
खादा पीता लाहे दा
बाकी अहमद शाहे दा।
(जो खा-पी-पहन लो वही तुम्हारा है, बाकी तो अहमद शाह अब्दाली लूटकर ले ही जायेगा।)
■ उपसंहार: पाकिस्तान महज एक मुल्क नहीं है, वह एक मानसिकता भी है।
1।10।16
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