Tuesday, December 20, 2016

तैमूर लंग के बड़े अहसान हैं भारत में रह रहे शांतिदूतों पर

तैमूर लंग के बड़े अहसान हैं भारत में रह रहे शांतिदूतों पर। लगभग छह सौ बरस पहले (12-18 दिसंबर 1398?) तैमूर ने आज के मुसलमानों में से हज़ारों के पुरखों की अस्मत और दौलत लूटी थी और बदले में इस्लाम का उपहार दे गया ताकि जो उन पुरखों के साथ हुआ उनकी संतानें दूसरों के साथ वही सलूक कर 72 हूरों और बेहिसाब दारू वाली ज़न्नत का टिकट ले सकें। वैसे गोल-गला-प्रेमियों के लिये गिलमे (कमसिन लौंडे) भी अल्लाह देता है क्योंकि वह बड़ा दयालु है।
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जो तैमूर ने किया था वही काम उसके पहले ग़ौरी, ग़ज़नी, बिन क़ासिम तथा बाद में अब्दाली ने भी किया था, इसीलिए भारत-प्रेमी पाकिस्तान की मिसाइलों के नाम इन मशहूर ग़ाज़ियों के नाम पर हैं।
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भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश में मुसलमान बच्चों के नाम बड़े गर्व से रखे जाते हैं: ग़ौरी, ग़ज़नी, क़ासिम और अब्दाली। पर पता नहीं दारा शिकोह, रसखान, बाबा बुल्लेशाह से उन्हें क्या चिढ़ है।
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तभी तो अकबर इलाहाबादी फरमाते हैं:
ख़ुद मसरूफ हैं क्लर्की में
दिल है ईरान और टर्की में।

(इस पोस्ट का सैफ़ अली ख़ान के पुत्र तैमूर से कोई लेना-देना नहीं है।)
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20.12

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