Sunday, December 25, 2016

पेट मसरूफ़ है क्लर्की में, दिल है ईरान और टर्की में: अकबर

पेट मसरूफ़ है क्लर्की में
दिल है ईरान और टर्की में।
                                    ---अकबर इलाहाबादी

सैफ़ (जिहाद की तलवार) के पुत्र 'तैमूर'(फ़ौलाद, शेर)  को लेकर ये हुआँ-हुआँ क्यों है?
विमर्श के दो पहिये हैं सहमति-असहमति। यहाँ शास्त्रार्थ की हज़ारों साल पुरानी परम्परा रही है। हम प्रतीकों, सभ्यता गत दृष्टि और समाज-मनोविज्ञान के सन्दर्भ में विमर्श करना चाहते हैं जिसके खिलाफ सामी मतावलंबी खेमों ने मोर्चा बाँध लिया है।

इसका कारण उनका डीएनए है। ईसाइयत-इस्लाम-साम्यवाद ने पिछले दो हज़ार सालों में विरोध करनेवाले करोड़ों को मौत के घाट उतार दिया फिर भी अपने पंथ के भीषण नारसंहारियों को ये महानायक मानते: माओ, स्टालिन, पोल पॉट, तैमूर, चंगेज़ ख़ान, बिन क़ासिम, अब्दाली, नादिर शाह, ग़ज़नी, ग़ौरी आदि।

भारत से लेकर यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तक हिंसा को जिहाद और क्रान्ति के रूप में महिमामंडित करनेवाले इन  दर्शनों का प्रतिकार हो रहा है और वामपंथी-इस्लामी गठजोड़ को बेनकाब किया जा रहा है।
भारत ने बहुत पहले ही इसकी काट निकाली।

अशोक को महान तब माना गया जब उसने हिंसा को छोड़ बौद्ध धर्म अपनाया। यह है सभ्यतागत  दृष्टि। लेकिन इस दृष्टि को यहाँ के वामी-इस्लामी और तथाकथित उदारपंथी कायरता मान बैठे और 'कश्मीर', बंगाल', 'केरल', और 'भारत -की -बर्बादी -तक वाला जेएनयू' खड़ा कर दिया।

विमर्श में असहमति-विरोधी इस दृष्टि का पुख़्ता प्रमाण है सेकुलर-वामी-इस्लामी लोगों की फेसबुक वाल जहाँ से 'कश्मीर', 'बंगाल', 'केरल' , 'जेएनयू' और 'तैमूर' सिरे से ग़ायब हैं। दूसरी तरफ़ भारत-विभाजन का इस्लाम-सम्मत अलतकिया (झूठा) पाठ पेश किया जाता है जिसे वामपंथी स्वीकृति प्राप्त है। हिंदुओं पर विभाजन की
उतनी ही जिम्मेदारी थोप जी जाती है जितनी कि मुसलमानों पर जबकि मुस्लिम लीग ने मजहब -आधारित द्विराष्ट्र सिद्धान्त दिया था जो इक़बाल की काव्य कोख़ में पैदा हुआ:

हो जाए ग़र शाहे ख़ुरासान का इशारा
सजदा न करूँ हिन्द की नापाक ज़मीं पर।

यही इक़बाल आज भी वामी-लिबरल-इस्लामी चिंतकों के वैचारिक नायक हैं। लेकिन इसे कूड़ा करार देनेवाले अकबर इलाहाबादी को हम क्यों न याद करें जो हमारे सभ्यतागत विमर्श के बेज़ोर स्तम्भ हैं?
अकबर ने इक़बाल से पहले ही आगाह कर दिया था:
पेट मसरूफ़ है क्लर्की में
दिल है ईरान और टर्की में।
25।12।16

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