Thursday, December 8, 2016

'जनता को गोली मारो' ...

'जनता को गोली मारो' ...

"नोटबंदी पर जनता भक्तों के पाले में है, क्यों?"
" क्योंकि उसे अपने ही भले-बुरे की पहचान नहीं है।लेकिन सेकुलर-जनवादी नेता और क्रांतिकारी बुद्धिजीवी तो नोटबंदी के विरोध में हैं।"
"इन हालात में स्टालिन-माओ के अनुभव क्या कहते हैं?"...
"स्टालिन ने 2.5 करोड़ और माओ ने लगभग 5 करोड़ जनता को क्रान्ति की वेदी पर बलिदान कर दिया था।"
"मतलब 'प्रतिक्रियावादी जनता को ही गोली मार दी थी'?"
"हाँ, उन्होंने जनहित में जनता को गोली मारने का कठिन मगर जरूरी फैसला लिया था।"
"तभी तो करोड़ों के सफाये के बावजूद वे आज भी दुनियाभर में क्रान्ति के महानायक हैं और लाखों का संहार करनेवाला हिटलर मानवता का दुश्मन नम्बर वन।"

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