लफ्फाजी में मार्क्स बेज़ोर हैं।
लफ्फाजी में कि। उनकी शैली का सर्वाधिक लाभ विज्ञापन वालों ने उठाया लेकिन उसके भी पहले हिटलर और मुसोलिनी ने उनकी शैली यानी लफ्फाजी प्रतिभा से लाभ उठाया।
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कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो लफ्फाजी के सिवा क्या है?
"दुनिया के मजदूरों एक हों"!
"खोने के लिए सिर्फ बेड़ियाँ और पाने के लिए सारी दुनियाँ"!
वैसे लफ्फाजी में मार्क्स को मात देनेवाले कौन हो सकते हैं?
#मार्क्स #लफ्फाजी #कम्युनिस्ट_मैनिफेस्टो
#विज्ञापन_की_भाषा #हिटलर #मुसोलिनी
#दुनिया_के_मजदूरों_एक_हो
28।12।16
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कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो लफ्फाजी के सिवा क्या है?
"दुनिया के मजदूरों एक हों"!
"खोने के लिए सिर्फ बेड़ियाँ और पाने के लिए सारी दुनियाँ"!
वैसे लफ्फाजी में मार्क्स को मात देनेवाले कौन हो सकते हैं?
#मार्क्स #लफ्फाजी #कम्युनिस्ट_मैनिफेस्टो
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#दुनिया_के_मजदूरों_एक_हो
28।12।16
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