Wednesday, December 21, 2016

जब सेकुलरवाद दोहरेपन का दूसरा नाम हो जाए

जब सेकुलरवाद दोहरेपन का दूसरा नाम हो जाए तो जो भी इस दोहरेपन से अलग होगा , सेकुलर जेहादी उसका 'शंबूक-वध' करने से बाज़ नहीं आएंगे। और शंबूक का शरीर मरता है, विचार नहीं। दिलचस्प यह है कि सेकुलर जेहादी भी खुद को शंबूक ही कहते हैं। याद रहे सेकुलर जेहादी पिछले 70 सालों से विमर्श पर हावी हैं, इसलिए वे शंबूक परंपरा के हो ही नहीं सकते। वे तो रंगे सियार हैं जो पोल खुलने से बिलबिलाये हुए हैं।
19.10.16

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