जब सेकुलरवाद दोहरेपन का दूसरा नाम हो जाए
जब सेकुलरवाद दोहरेपन का दूसरा नाम हो जाए तो जो भी इस दोहरेपन से अलग होगा , सेकुलर जेहादी उसका 'शंबूक-वध' करने से बाज़ नहीं आएंगे। और शंबूक का शरीर मरता है, विचार नहीं। दिलचस्प यह है कि सेकुलर जेहादी भी खुद को शंबूक ही कहते हैं। याद रहे सेकुलर जेहादी पिछले 70 सालों से विमर्श पर हावी हैं, इसलिए वे शंबूक परंपरा के हो ही नहीं सकते। वे तो रंगे सियार हैं जो पोल खुलने से बिलबिलाये हुए हैं।
19.10.16
19.10.16
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