चाइनीज़-माल-बॉयकॉट वाली झक्कास दिवाली मुबारक!
चाइनीज़-माल-बॉयकॉट वाली झक्कास दिवाली मुबारक!
2016 की दिवाली भारतीय राष्ट्रीयता के नवजागरण के उद्घोष की भी दिवाली है। सुना है 1500 करोड़ रुपये के चाइनीज़ माल के आर्डर रद्द हो चुके हैं! अकेले नोएडा में 150 करोड़ के आर्डर रद्द हुए!! आख़िर ये माज़रा क्या है...
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आज से लगभग 7000 हज़ार साल पहले लंका की राजगद्दी मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने यह कहते हुये ठुकराई थी कि
"माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं"।
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यही है राष्ट्रप्रेम,
यही है जन्मभूमि की मातृसत्ता के रूप में प्रतिष्ठा, यही है आज के भारत का राममय होने की राह पर चल पड़ना...
ये राम धनुषधारी हैं,
केवटराज-सुग्रीव-हनुमान-जटायु से गले मिलते हैं
शबरी के जूठे बैर खाते हैं तो छुपकर बाली-वध भी करते हैं और रावण के शरीर के उस अंग पर प्रहार भी करते हैं जो प्रहार-निषिद्ध है। यह सब इसलिये कि धर्म की हानि करने वाले के साथ नीति क्या, अनीति क्या। इस राम के लिये अहिंसा और हिंसा दोनों धर्म-रथ के दो पहियों के समान है, न कि अपने आप में उद्देश्य। अहिंसा-हिंसा दोनों ही धर्म के साधन-मात्र हैं। आज भारत के नावजागृत युवाओं में हिंसा-अहिंसा को लेकर कोई संशय नहीं है।
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या तो आप इस राष्ट्रीय नवजागरण नामक बुलडोज़र के ऊपर सवार हैं या फिर उससे कुचले जाने का जाने-अनजाने इंतज़ार कर रहे हैं।वक़्त ने तो अपना फैसला दे दिया है।
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
29.10.16
2016 की दिवाली भारतीय राष्ट्रीयता के नवजागरण के उद्घोष की भी दिवाली है। सुना है 1500 करोड़ रुपये के चाइनीज़ माल के आर्डर रद्द हो चुके हैं! अकेले नोएडा में 150 करोड़ के आर्डर रद्द हुए!! आख़िर ये माज़रा क्या है...
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आज से लगभग 7000 हज़ार साल पहले लंका की राजगद्दी मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने यह कहते हुये ठुकराई थी कि
"माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं"।
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यही है राष्ट्रप्रेम,
यही है जन्मभूमि की मातृसत्ता के रूप में प्रतिष्ठा, यही है आज के भारत का राममय होने की राह पर चल पड़ना...
ये राम धनुषधारी हैं,
केवटराज-सुग्रीव-हनुमान-जटायु से गले मिलते हैं
शबरी के जूठे बैर खाते हैं तो छुपकर बाली-वध भी करते हैं और रावण के शरीर के उस अंग पर प्रहार भी करते हैं जो प्रहार-निषिद्ध है। यह सब इसलिये कि धर्म की हानि करने वाले के साथ नीति क्या, अनीति क्या। इस राम के लिये अहिंसा और हिंसा दोनों धर्म-रथ के दो पहियों के समान है, न कि अपने आप में उद्देश्य। अहिंसा-हिंसा दोनों ही धर्म के साधन-मात्र हैं। आज भारत के नावजागृत युवाओं में हिंसा-अहिंसा को लेकर कोई संशय नहीं है।
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या तो आप इस राष्ट्रीय नवजागरण नामक बुलडोज़र के ऊपर सवार हैं या फिर उससे कुचले जाने का जाने-अनजाने इंतज़ार कर रहे हैं।वक़्त ने तो अपना फैसला दे दिया है।
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
29.10.16
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