भारत के सेकुलर-वामी मीडिया का दोहरापन
भारत के सेकुलर-वामी मीडिया का दोहरापन इस देश को धीरे-धीरे राष्ट्रपति-प्रणाली की ओर धकेल रहा है। वह दिन दूर नहीं जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की कैबिनेट से लोकतंत्र वैसे ही ग़ायब होगा जैसे दुनिया के सबसे बड़े कम्युनिस्ट देश चीन के अर्थतंत्र से साम्यवाद।
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कौन जाने यह समय की ज़रुरत हो? कम्युनिस्ट चीन के पूँजीवादी अर्थतंत्र से टक्कर लेने के लिए लोकतान्त्रिक भारत का यह अपना देसी तरीका हो? यह तो तय है कि भारत का वर्तमान लोकतांत्रिक ढाँचा चीन से निपटने में अक्षम है।
1.11.16
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कौन जाने यह समय की ज़रुरत हो? कम्युनिस्ट चीन के पूँजीवादी अर्थतंत्र से टक्कर लेने के लिए लोकतान्त्रिक भारत का यह अपना देसी तरीका हो? यह तो तय है कि भारत का वर्तमान लोकतांत्रिक ढाँचा चीन से निपटने में अक्षम है।
1.11.16
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