मुसलमान मरे तो हाहाकार हिन्दू मरे तो मौनाचार
मुसलमान मरे तो हाहाकार हिन्दू मरे तो मौनाचार
■
इस देश में ज्यादातर तनाव और दंगे सत्ता प्रायोजित रहे हैं लेकिन आज का 'तनाव' मीडिया प्रायोजित ज्यादा है। यह मीडिया केंद्रीय सत्ता से बेदख़ल नेहरू-गाँधी परिवार की काँग्रेस का विश्वस्त भोंपू है।
इसका मंत्र है:
मुसलमान मरे तो हाहाकार हिन्दू मरे तो मौनाचार ।
■
आश्चर्य नहीं कि टीवी-अख़बार के ज्यादातर पत्रकार और मालिक सोशल मीडिया को कोसते नहीं थकते; वही सोशल मीडिया जो उनकी तत्काल पोल-खोल करता है।
■
वैसे इसी काँग्रेस ने आज के ही दिन 1984 में दिल्ली में सिख-विरोधी दंगो की सदारत की थी जिसमें सैकड़ों बेगुनाह मारे गए, हज़ारों बेघर हुये जिनमें सैकड़ों ऐसे थे जो 1947 में भी (तब के पश्चिमी पंजाब और अब पाकिस्तान) दंगे, लूट और बलात्कार का शिकार हुये थे। आकस्मिक नहीं कि आज़ादी के बाद के दंगों में दिल्ली दंगों को टीवी-अख़बार व्यावहारतः सेकुलर मानते हैं और गुजरात दंगों (गोधरा नरसंहार को छोड़कर) को कम्युनल!
■
(नोट: साल भर पहले इसी दिन की अपनी एक पोस्ट का परिवर्द्धित रूप।) 1.11.16
मूल पोस्ट: 1.11.15
■
इस देश में ज्यादातर तनाव और दंगे सत्ता प्रायोजित रहे हैं लेकिन आज का 'तनाव' मीडिया प्रायोजित ज्यादा है। यह मीडिया केंद्रीय सत्ता से बेदख़ल नेहरू-गाँधी परिवार की काँग्रेस का विश्वस्त भोंपू है।
इसका मंत्र है:
मुसलमान मरे तो हाहाकार हिन्दू मरे तो मौनाचार ।
■
आश्चर्य नहीं कि टीवी-अख़बार के ज्यादातर पत्रकार और मालिक सोशल मीडिया को कोसते नहीं थकते; वही सोशल मीडिया जो उनकी तत्काल पोल-खोल करता है।
■
वैसे इसी काँग्रेस ने आज के ही दिन 1984 में दिल्ली में सिख-विरोधी दंगो की सदारत की थी जिसमें सैकड़ों बेगुनाह मारे गए, हज़ारों बेघर हुये जिनमें सैकड़ों ऐसे थे जो 1947 में भी (तब के पश्चिमी पंजाब और अब पाकिस्तान) दंगे, लूट और बलात्कार का शिकार हुये थे। आकस्मिक नहीं कि आज़ादी के बाद के दंगों में दिल्ली दंगों को टीवी-अख़बार व्यावहारतः सेकुलर मानते हैं और गुजरात दंगों (गोधरा नरसंहार को छोड़कर) को कम्युनल!
■
(नोट: साल भर पहले इसी दिन की अपनी एक पोस्ट का परिवर्द्धित रूप।) 1.11.16
मूल पोस्ट: 1.11.15
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home