Wednesday, April 1, 2020

कोरोना जिहाद से गृहयुद्ध की स्थिति पैदा होगी

धीरे-धीरे लोग समझ रहे हैं कि मजहबियों की समाजी ताक़त के सामने सत्ता भींगी बिल्ली हो जाती है। CAA का विरोध, दिल्ली दंगे-20 और निज़ामुद्दीन-कोरोना-जिहाद तीनों सिर्फ यह बताते हैं कि मजहबियों के लिए इस्लाम सबसे ऊपर और देश या उसका संविधान ठेंगे पर।
इस्लाम कहता है कि गज़वा-ए-हिंद यानी जिहाद के द्वारा हिंदुस्तान को इस्लामी  देश बनाना है और इस काम में कोरोना वायरस की वही भूमिका है जो किसी फिदायीन या मानव-बम के लिए विस्फोटक पदार्थ की होती है।
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इस पूरी प्रक्रिया में सत्ता अक्सर मिमियाती नज़र आती है और इससे जिहादियों को जिहाद करने का बल मिलता है। दूसरी तरफ देश और धर्म की रक्षा के लिए एक आम गैर-मुसलमान का राजसत्ता पर विश्वास कम होता जाता है जो उसे सड़क पर उतरने का नैतिक बल देता है। इस साल दिल्ली दंगों के पीछे का एक कारण यह भी रहा कि CAA के विरोध में पूरी दिल्ली को ठप करने वाले जिहादियों पर काबू पाने में पुलिस असहाय दिख रही थी।
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सत्ता की इस असहायता पर अधिसंख्य हिंदुओं का विश्वास का बढ़ता जाना उनके लिए क़ानून को हाथ में लेने का निमंत्रण है जो अंततः गृहयुद्ध को जन्म देगा। यह एक निर्णायक युद्ध होगा जो राजनैतिक सत्ता पर सामाजिक सत्ता के अंकुश को स्थापित करेगा।
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एक बात और। वह यह कि यह एक वैश्विक परिघटना होगी क्योंकि वैश्विक जिहाद से निपटने में दुनियाभर का वोटबैंक-आश्रित लोकतंत्र विफल साबित हो रहा है। निष्कर्ष यह कि वैश्विक जिहाद से निपटने में वैश्विक लोकतंत्र की विफलता से वैश्विक राष्ट्रीय उभार होगा जो वैश्विक गृहयुद्ध को जन्म देगा जिसकी चपेट में हर वह देश आएगा जहाँ की मुस्लिम आबादी 4-5 % या उससे ज्यादा है।
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एक अनुमान के अनुसार इस वैश्विक गृहयुद्ध में 35-40 करोड़ लोग मारे जाएँगे जिसमें 5-6 करोड़ भारतीय हो सकते हैं और भारत इसके केंद्र में भी हो सकता है क्योंकि किसी भी गैर-इस्लामी देश की तुलना में भारत की मुस्लिम आबादी (25-30 करोड़) अधिक है और इंडोनेशिया के बाद सर्वाधिक मुसलमान भारत में ही रहते हैं। दूसरी बात यह कि भारत का दारुल उलूम, देवबंद (सहारनपुर, उत्तरप्रदेश) का स्थान जिहाद की सैद्धांतिक ट्रेनिंग के मामले में वैश्विक स्तर पर नम्बर दो और गैर-इस्लामी देशों में नंबर वन है। निज़ामुद्दीन मरकज़ से पूरे देश में कोरोना जिहादियों को भेजने को लेकर चर्चा में आई तबलीगी जमात इसी देवबंदी इदारे से संचालित है।
@ चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह

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