Monday, October 14, 2019

नोबेल पुरस्कारों का सच

अगर आप भारत-विरोधी एजेंडा का हिस्सा हैं तो मैग्सेसे की कौन कहे, आपको नोबेल पुरस्कार भी मिल सकता है।
गाँधी को शांति का नोबेल क्यों नहीं मिला?
सुलभ इंटरनेशनल के डा बिन्देश्वर पाठक के बजाये कैलाश सत्यार्थी को क्यों नोबेल मिला?
टेरेसा को गरीबों की सेवा के लिए नोबेल मिला था या उन्हीं गरीबों को जैसे-तैसे ईसाई बनाने के लिए?
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्यसेन की सलाह पर चलनेवाली बंगाल और केरल की सरकारों ने क्या-क्या गुल खिलाये?
बिना नोबेल पाये डा सुब्रमण्यम स्वामी और डा मनमोहन सिंह की जोड़ी ने 1991-96 के दौरान नरसिंह राव के नेतृत्व में देश की विकास दर को कैसे 8% से ऊपर पहुँचा दिया?
ज्याँ पॉल सात्र ने 1964 में इसी नोबेल पुरस्कार को लेने से क्यों मना कर दिया था?
सबसे बड़ा सवाल:
देश बड़ा या देश का नोबेल विजेता?
देशप्रेम बड़ा या नोबेल विजेता की भारत-द्वेषी दृष्टि?
दुनिया के दूसरे सबसे शक्तिसंपन्न देश चीन के कितने लोगों को नोबेल मिला है और क्यों?
चीन के सत्ता संस्थान ने ऐसे कितने लोगों को सम्मानित किया है जिनकी भूमिका वहाँ पर वही है जो भारत में अमर्त्यसेन, कैलाश सत्यार्थी और टेरेसा जैसों की है?
अन्त में जे एन यू के पूर्वछात्र प्रो अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र में नोबेल के लिए बधाई! लेकिन उनके गरीबी-निवारण मॉडल को हऊआकर अपनाने के लालच से सावधान! मिल्टन फ्रीडमन समेत ऐसे अनेक नोबेल विजेताओं के मॉडल विकासशील देशों के लिए आत्मघाती साबित हो चुके हैं।

कुछ और प्रश्न:
विश्वगुरु बनने का दम भरनेवाले भारत का मौजूदा नेतृत्व भारत में ही नोबेल से भी अधिक स्तरीय पुरस्कारों की शुरुआत क्यों नहीं करता ?
इस्लामी हमलों के शुरुआती दौर तक इसी भारत में नालंदा जैसे 32 विश्वविख्यात विश्वविद्यालय थे जहाँ 12 वीं सदी तक उच्च कोटि के शोध होते थे। आज़ादी के 72 सालों बाद भी हम क्या वैसा एक भी विश्वविद्यालय बना पाए हैं ?
ऐसे विश्वविद्यालयों के बिना हम विश्वगुरु बनने का सपना पूरा कर सकते हैं क्या?
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