अब न रोके कोई, अब न टोके कोई
खाड़ी बंगाल से चली है
पूर्वा कोई,
बाँचे रामकथा नई है
तुलसी कोई,
बरसाये करुणा-धार है
गौतम कोई,
जगाये चन्द्रगुप्तों को है
चाणक्य कोई,
बजाये घंटे धामों के है
शंकर कोई,
गुनगुनाये पराती है
नानक कोई,
कह चला साखी-दोहा है
कबीरा कोई,
सुनाये देशराग है
खुसरो कोई,
दैरोहरम का दीप
मीर-ग़ालिब कोई,
पुकारे कश्मीर से है
मूसा-ईसा कोई:
अब न रोके कोई, अब न टोके कोई
कहीं मीरा कोई , हब्बा खातून कोई।
-------चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home