Saturday, August 22, 2015

अब न रोके कोई, अब न टोके कोई



खाड़ी बंगाल से चली है
पूर्वा कोई,

बाँचे रामकथा नई है
तुलसी कोई,

बरसाये करुणा-धार है
गौतम कोई,

जगाये चन्द्रगुप्तों को है
चाणक्य कोई,

बजाये घंटे धामों के है
शंकर कोई,

गुनगुनाये पराती है
नानक कोई,

कह चला साखी-दोहा है
कबीरा कोई,

सुनाये  देशराग है
खुसरो कोई,

दैरोहरम का दीप
मीर-ग़ालिब कोई,

पुकारे कश्मीर से है
मूसा-ईसा कोई:
अब न रोके कोई, अब न टोके कोई
कहीं मीरा कोई , हब्बा खातून कोई।

                              -------चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home