Sunday, January 10, 2016

आतंकवाद के मजहब का पता मिल गया!

मिल गया! मिल गया!! मिल गया!!!
आतंकवाद के मजहब का पता मिल गया!!!!
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कत्ल वाला वीडियो जारी करने के पहले आईएसआईएस अपने शिकार को भगवा वस्त्र क्यों पहनाता है?
क्या आर एस एस की मिलीभगत के बिना यह संभव है?
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आईएसआईएस ज्वाइन करने जानेवाले युवाओं को गिरफ्तार कर पूछताछ करनेवाली पुलिस आर एस एस प्रमुख डा मोहन भागवत से पूछताछ क्यों नहीं कर रही?
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साफ है कि जैसे योग का धर्म है वैसे ही आतंकवाद का रंग है और वह है भगवा!
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अब जब यह साफ हो गया है कि आतंकवाद का रंग भगवा है और उसका मुख्यालय भारत के ही नागपुर में है तो देरी किस बात की?
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सरकार को चाहिए कि अमेरिका समेत नाटो के अन्य सदस्य देशों को लिखे कि आतंकवाद विरोधी मुहिम में वे  पाकिस्तान और ईराक़ पर फालतू डालर-यूरो की बरसात करने के बजाय भारत को आर्थिक सहायता दें क्योंकि भगवा रंग और आईएसआईएस के संबंध के तार सीधे भारत से जुड़ते हैं न कि
पाकिस्तान या ईराक़ से।
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यही राय भारत की सेकुलर -वामी पार्टियों की भी है।तभी तो दिग्गी राजा, राहुल बाबा और केजरीवाल सरीखे नेताओं एवं एनडीटीवी जैसे चैनलों ने कभी सीधे तो कभी बेसीधे यह बात  बार-बार कही है।
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और 'टाइम्स ऑफ इंडिया' जैसे दुनिया के नंबर वन अंग्रेज़ी अख़बार ने बिना किसी अंतरराष्ट्रीय सहायता के 'अमन की आशा' मुहिम चलाई है जिसका उद्देश्य है पाकिस्तान की प्रेरणा से पूरी दुनिया में अमन को अमली जामा पहनाना।

(सुश्री  Swarnima Aggarwal की टिप्पणी से प्रेरित।)

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