Saturday, January 9, 2016

इक़बाल और उनका पाकिस्तान

कुछ पोपट या कुपढ़ किस्म के लोग, खासकर सेकुलर हिन्दू, अल्लामा इक़बाल को उद्धृत करते थकते नहीं हैं:
'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ताँ हमारा'
*
 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना'।

ऐसे लोगों से पूछो कि पाकिस्तान का आइडिया किसका था?
बरतानलवी खर्चे पर जब इक़बाल इंग्लैंड गए तो उनका मोसल्लम ईमान (यानी मुसलमान) जाग गया और उन्होंने घोषित कर दियाः

हो जाए अगर शाहे खुरासान का इशारा
सज़दा न करूँ हिन्द की नापाक ज़मीं पर।
*

तो धर्म और मजहब को एक ही तराजू पर तौलनेवाले बुद्धिविलासी, बुद्धिवंचक और बुद्धिपिशाचो! अपने अमर वचन से हमें लाभान्वित करने से पहले कृपया:
कुरान और हदीस पर नजर डाल लें।
*
क्रूसेड को भी समझ लें।
*
शरीया की एक झलक ले लें ।
*
और, हिन्दू उदारता को किसी और पर प्रत्यारोपित कर कम-से-कम अपने हिन्दू नाम और पढ़े-लिखे होने के बहाने पर दूसरे को गुमराह न करें ।
*
आईएसआईएस जो भी करता है उसमें कुछ भी इस्लाम विरोधी नहीं है।यह जानने के लिए हिन्दू उदारता के खोल से बाहर झाँकिये।
*
एक कहावत है:
चोर चिन्हे भल मानुस के बेटा?

तो चोर को समझने के लिए चोर के दिमाग में घुसे बिना काम नहीं चलने वाला ।
#कुमारिलभट्ट_ब्रिगेड

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home