Friday, January 8, 2016

जेएनयूः देश पर शर्म करनेवाले वैज्ञानिक और गर्व करनेवाले अवैज्ञानिक!

जेएनयू में विज्ञान के छात्रों को सामान्यतया अवैज्ञानिक सोच वाला करार देकर उनकी खिल्ली उड़ाई जाती है जबकि समाज विज्ञान और भाषाओं की पढ़ाई करनेवाले खुद को वैज्ञानिक सोच-संपन्न घोषित करते हैं।
*
इसी फार्मूले के तहत बगल के आई आई टी के विज्ञान और टेक्नालॉजी के छात्र भी बेचारे अवैज्ञानिक सोच के मालिक घोषित कर दिए जाते हैं।
*
उदाहरण के तौर पर कहा जाता है कि राष्ट्रवादी सोचवाले लोगों की संख्या इसीलिए तो विज्ञान और टेक्नालॉजी विभागों में ज्यादा है जबकि समाज विज्ञान और भाषा विषयों (संस्कृत को छोड़) में धुर वामपंथी-सेकुलर-लिबरल लोगों का 1970 से ही दबदबा है।
*
आई आई टी को तो मूर्खों यानी देशभक्तों का अड्डा मानते जेएनयू के वामी-सामी-सेकुलर आदि!
*
वैसे पूरे देश के स्तर पर तो यही नज़र आता है कि सर्वाधिक मेधावी छात्र विज्ञान, इंजीनियरिंग या मेडिकल पढ़ने लग जाते हैं चाहे उनकी रुचि उनमें हो या नहीं।
*
जो बच गए वे समाज विज्ञान और भाषा-साहित्य का रुख करते हैं।दिल्ली विश्वविद्यालय में कुछ काॅलेज और कुछ विषय (वाणिज्य व अर्थशास्त्र) इसके अपवाद हो सकते हैं।
*
कुछ ऐसे विषय हैं जिनमें दोनों समूहों के मेधावी छात्र जाते हैं और वे हैं प्रोफेशनल विषय यथा मैनेजमेंट, कानून, जनसंचार आदि।इनमें भी जनसंचार को छोड़ ज्यादातर तथाकथित
'अवैज्ञानिक' सोचवाले ही ज्यादा पाए जाते हैं।
*
अब सवाल है कि सर्वाधिकार मेधावी और विज्ञान पढ़नेवाले
'अवैज्ञानिक सोचयुक्त' तथा उनसे कम मेधावी  समाज विज्ञान-भाषा विषयों के छात्र 'वैज्ञानिक सोच से लैश' कैसे हो गए?
*
वैसे सीधी भाषा में कहें तो देश पर शर्म करनेवाले को जेएनयू में वैज्ञानिक सोच-संपन्न और देश पर गर्व करनेवाले को अवैज्ञानिक सोच से लैश माना जाता है।
*
आप कहेंगे कि कौन इन अवधारणाओं के जनक है?
जवाब है, 'जिसकी लाठी उसकी भैंस'।
सबसे ज्यादा छात्रों की संख्या वाले संस्थान होते थे:
समाज विज्ञान संस्थान,
भाषा संस्थान और
अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान ।
*
कहीं ये तो नहीं कि वैचारिकता की संभावना वाले इन विषयों  को भारतीय दृष्टि की जगह अभी भी औपनिवेशिक दृष्टि से पढ़ाया जाता है जिसमें मानसिक गुलामी  को एक परम गुण मानते जबकि साइंस और टेक्नोलॉजीवालों को इस धरमधकेल से गुजरना ही नहीं पड़ता और वे बिना किसी खास अध्ययन और ट्रेनिंग के अपनी सहजबुद्धि की बदौलत 'राष्ट्रवादी यानी अवैज्ञानिक सोच के शिकार' हो जाते हैं!
 हरि ओम, हरि ओम!!

#JNU #RevampJNU #JNURow #Sciences #SocialSciences #IIT #Scientific 

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home