गरीबी उन्मूलन बनाम लोक लुभावन वोट गिरावन नीति
यह अब साबित हो चुका है कि मार्क्सवादी/साम्यवादी/समाजवादी व्यवस्था गरीबी से लड़ने में अक्षम है। यह गरीबी पैदा करती है न कि उसका उन्मूलन।गुगल कर लीजिए, सारी जानकारी मिल जाएगी।
यहाँ तो असली मुद्दा है: गरीबी उन्मूलन की दीर्घकालिक नीति बनाम लोक लुभावन वोट गिरावन कार्यक्रम ।इसके लिए वोटर ज्यादा जिम्मेदार है क्योंकि वह गरीब हो या धनी उसे फटाफट मैगी कार्यक्रम ही पसंद आते हैं:
मुफ्त की बिजली, मुफ्त का पानी--यानी माले मुफ्त दिले बेरहम ।
राजनीतिज्ञ भी सोचता है कि आज वह कड़वी नीति लागू कर खुद चुनाव हारे और कल उसके विरोधी उसकी नीति के सुफल का फायदा उठाएँ?
एक औसत मतदाता जितना गंभीर कपड़ा खरीदने, फिल्म देखने या किसी दिन होटल में खाना खाने को लेकर रहता है उससे भी कम गंभीर वह नेता के चुनाव को लेकर रहता है।नेताओं में श्री अटलबिहारी वाजपेयी और स्वर्गीय पी वी नरसिंहराव इसके अपवाद हैं । 2014 का लोकसभा चुनाव भी अपवाद है जिसका क्रेडिट जनता को जाता है।
यहाँ तो असली मुद्दा है: गरीबी उन्मूलन की दीर्घकालिक नीति बनाम लोक लुभावन वोट गिरावन कार्यक्रम ।इसके लिए वोटर ज्यादा जिम्मेदार है क्योंकि वह गरीब हो या धनी उसे फटाफट मैगी कार्यक्रम ही पसंद आते हैं:
मुफ्त की बिजली, मुफ्त का पानी--यानी माले मुफ्त दिले बेरहम ।
राजनीतिज्ञ भी सोचता है कि आज वह कड़वी नीति लागू कर खुद चुनाव हारे और कल उसके विरोधी उसकी नीति के सुफल का फायदा उठाएँ?
एक औसत मतदाता जितना गंभीर कपड़ा खरीदने, फिल्म देखने या किसी दिन होटल में खाना खाने को लेकर रहता है उससे भी कम गंभीर वह नेता के चुनाव को लेकर रहता है।नेताओं में श्री अटलबिहारी वाजपेयी और स्वर्गीय पी वी नरसिंहराव इसके अपवाद हैं । 2014 का लोकसभा चुनाव भी अपवाद है जिसका क्रेडिट जनता को जाता है।
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