शिंगनापुर शनिमंदिर : कामरेड के नाम ख़त
कामरेड,
लाल सलाम! केमोन आछेन? भालो!
इधर महाराष्ट्र के #शनिमंदिर मामले पर आपने और आपके इवांजेलिस्ट-इस्लामी साथियों ने काफी बवाल काटा और हिन्दू कट्टरपंथी जमात को उसकी औकात बता दी।बधाई हो! आपके इस योगदान को नहीं भूलेगा हिन्दुस्तान ।
*
लेकिन #कामरेड, तीन तलाक-चार शादियाँ-72 हूरों के लिए #जेहाद-#शाहबानो केस-कोख पर मुस्लिम महिलाओं के अधिकार-मस्जिदों में पुरुषों जैसे प्रार्थना के अधिकार-सरकारी मदद से चलनेवाले मदरसों में हिन्दुस्तान और संविधान-विरोधी पाठ्यक्रम आदि पर कभी आपका ध्यान गया? इसको कहते हैं 'सेलेक्टिव एमनेसिया' जिससे भारत का सेकुलर-लिबरल-इस्लामी-इवांजेलिस्ट -नक्काल वामपंथ ग्रस्त है।अपनी मूल विचारधारा से भी दूर एक कटी पतंग की तरह।
*
क्या तथ्य और आँकड़े कभी सपने में भी आपसे सवाल नहीं पूछते? तर्क से तीन-तलाक हो गया है? आपकी इस विस्मृति का क्या कारण है?
*
लाखों #कश्मीरी_हिन्दुओं के पलायन और सैकड़ों के नरसंहार-बलात्कार पर किसी वामी बालीवुड डायरेक्टर का ध्यान कभी क्यों नहीं गया? महेश भट्टों और श्याम बेनेगलों को सिर्फ मुसलमानी ख़ून ख़ून लगता है, बाकी पानी?
*
#गुजरात_दंगों पर हाय-हाय करते वक्त #गोधरा में ट्रेन-डिब्बे में जिन्दा जलाकर मार दिए गए कारसेवक और दिल्ली दंगों में मारे गए सिख याद नहीं आते? इतनी बेशर्मी कहाँ से पाई, इतना कुतर्क कहाँ से पाया?
*
कभी इस्लाम की मूल किताबों को एक बार पढ़ने की कोशिश की जिसमें दारुल हरब, दारुलस्सलाम, काफ़िर वाजिबुल-क़त्ल और ग़ज़वा-ए-हिन्द के बारे में स्पष्ट लिखा है? क्या आपने कभी पता लगाने की कोशिश भी कि ये अवधारणाएँ दारुल उलूम (देवबंद) समेत भारत के ग़ैर-हनफ़ी मदरसों के पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा हैं जिस कारण सरकारी खर्च पर चलने वाले ये मदरसे जेहाद की फैक्टरी बनकर रह गए हैं?
*
आपने धरना-प्रदर्शन के अपने अति-व्यस्त कार्यक्रम से थोड़ा सा समय निकालकर कभी यह पता लगाया कि गैर-मुसलमानों और जेहाद-विरोधियों की हत्या को मजहबी-दार्शनिक जामा पहनाने वाली इन चार अवधारणाओं का
कश्मीर में हिन्दुओं के जातिनाश से गहरा संबंध हो सकता है?
*
कभी पाकिस्तान- बाँग्लादेश में अल्पसंख्यकों की बेतहाशा गिरती आबादी पर नजर गई है? इन अभागों पर कोई गीत-कहानी-नाटक-उपन्यास आदि लिखने का ख्याल भी आया?
*
जो काम आज भारत के कम्युनिस्ट कर रहे हैं वो सिर्फ और सिर्फ पेड एजेंट करते हैं लेकिन मुझे पक्का विश्वास है कि कुछ शीर्ष लोगों को छोड़ बाकी को छदाम भी नसीब नहीं होता होगा सिवाय इसी दुनिया में 'क़यामत के बाद के 72-हूरों वाली सामी ज़न्नत' के!
भूल-चूक लेनी-देनी,
लाल सलाम! लाल सलाम!!
नोटः
1. #दारुल_हरब : वे इलाके जहाँ इस्लामी शासन नहीं है और जहाँ इस्लामी शासन लाना हर मुसलमान का मजहबी फ़र्ज़ है। इस कर्म को जेहाद कहा जाता है और ऐसा करनेवाले को जेहादी।
2. #दारुल_इस्लाम: वे इलाके जहाँ इस्लामी यानी शरियत के नियमों के हिसाब से शासन चलता है, जैसे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान आदि ।
3. #काफ़िर_वाजिबुल_क़त्ल: बहुदेव वादियों जैसे हिन्दुओं की हत्या जायज़
4. #ग़ज़वा_ए_हिन्द: युद्ध/जेहाद के द्वारा हिन्दुस्तान पर कब्जा कर उसे दारुल इस्लाम में तब्दील करना। जिस किसी को ग़ाज़ी की उपाधि मिली होगी उसने जरूर यह साबित किया होगा कि उसने या तो काफ़िरों को चाहे जैसे हो मुसलमान बनाया या फिर उनपर ज़ुल्मोसितम ढाये या फिर उनका क़त्ल
किया।
इसी से अनुमान लगाइए कि #औरंगज़ेब को
#ग़ाज़ीपीर क्यों कहा जाता है या फिर #ग़ाज़ियाबाद या #ग़ाज़ीपुर जिन महापुरुषों के नाम पर हैं उन महापुरुषों ने क्या-क्या और कितने महान काम किए होंगे!
लाल सलाम! केमोन आछेन? भालो!
इधर महाराष्ट्र के #शनिमंदिर मामले पर आपने और आपके इवांजेलिस्ट-इस्लामी साथियों ने काफी बवाल काटा और हिन्दू कट्टरपंथी जमात को उसकी औकात बता दी।बधाई हो! आपके इस योगदान को नहीं भूलेगा हिन्दुस्तान ।
*
लेकिन #कामरेड, तीन तलाक-चार शादियाँ-72 हूरों के लिए #जेहाद-#शाहबानो केस-कोख पर मुस्लिम महिलाओं के अधिकार-मस्जिदों में पुरुषों जैसे प्रार्थना के अधिकार-सरकारी मदद से चलनेवाले मदरसों में हिन्दुस्तान और संविधान-विरोधी पाठ्यक्रम आदि पर कभी आपका ध्यान गया? इसको कहते हैं 'सेलेक्टिव एमनेसिया' जिससे भारत का सेकुलर-लिबरल-इस्लामी-इवांजेलिस्ट -नक्काल वामपंथ ग्रस्त है।अपनी मूल विचारधारा से भी दूर एक कटी पतंग की तरह।
*
क्या तथ्य और आँकड़े कभी सपने में भी आपसे सवाल नहीं पूछते? तर्क से तीन-तलाक हो गया है? आपकी इस विस्मृति का क्या कारण है?
*
लाखों #कश्मीरी_हिन्दुओं के पलायन और सैकड़ों के नरसंहार-बलात्कार पर किसी वामी बालीवुड डायरेक्टर का ध्यान कभी क्यों नहीं गया? महेश भट्टों और श्याम बेनेगलों को सिर्फ मुसलमानी ख़ून ख़ून लगता है, बाकी पानी?
*
#गुजरात_दंगों पर हाय-हाय करते वक्त #गोधरा में ट्रेन-डिब्बे में जिन्दा जलाकर मार दिए गए कारसेवक और दिल्ली दंगों में मारे गए सिख याद नहीं आते? इतनी बेशर्मी कहाँ से पाई, इतना कुतर्क कहाँ से पाया?
*
कभी इस्लाम की मूल किताबों को एक बार पढ़ने की कोशिश की जिसमें दारुल हरब, दारुलस्सलाम, काफ़िर वाजिबुल-क़त्ल और ग़ज़वा-ए-हिन्द के बारे में स्पष्ट लिखा है? क्या आपने कभी पता लगाने की कोशिश भी कि ये अवधारणाएँ दारुल उलूम (देवबंद) समेत भारत के ग़ैर-हनफ़ी मदरसों के पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा हैं जिस कारण सरकारी खर्च पर चलने वाले ये मदरसे जेहाद की फैक्टरी बनकर रह गए हैं?
*
आपने धरना-प्रदर्शन के अपने अति-व्यस्त कार्यक्रम से थोड़ा सा समय निकालकर कभी यह पता लगाया कि गैर-मुसलमानों और जेहाद-विरोधियों की हत्या को मजहबी-दार्शनिक जामा पहनाने वाली इन चार अवधारणाओं का
कश्मीर में हिन्दुओं के जातिनाश से गहरा संबंध हो सकता है?
*
कभी पाकिस्तान- बाँग्लादेश में अल्पसंख्यकों की बेतहाशा गिरती आबादी पर नजर गई है? इन अभागों पर कोई गीत-कहानी-नाटक-उपन्यास आदि लिखने का ख्याल भी आया?
*
जो काम आज भारत के कम्युनिस्ट कर रहे हैं वो सिर्फ और सिर्फ पेड एजेंट करते हैं लेकिन मुझे पक्का विश्वास है कि कुछ शीर्ष लोगों को छोड़ बाकी को छदाम भी नसीब नहीं होता होगा सिवाय इसी दुनिया में 'क़यामत के बाद के 72-हूरों वाली सामी ज़न्नत' के!
भूल-चूक लेनी-देनी,
लाल सलाम! लाल सलाम!!
नोटः
1. #दारुल_हरब : वे इलाके जहाँ इस्लामी शासन नहीं है और जहाँ इस्लामी शासन लाना हर मुसलमान का मजहबी फ़र्ज़ है। इस कर्म को जेहाद कहा जाता है और ऐसा करनेवाले को जेहादी।
2. #दारुल_इस्लाम: वे इलाके जहाँ इस्लामी यानी शरियत के नियमों के हिसाब से शासन चलता है, जैसे सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान आदि ।
3. #काफ़िर_वाजिबुल_क़त्ल: बहुदेव वादियों जैसे हिन्दुओं की हत्या जायज़
4. #ग़ज़वा_ए_हिन्द: युद्ध/जेहाद के द्वारा हिन्दुस्तान पर कब्जा कर उसे दारुल इस्लाम में तब्दील करना। जिस किसी को ग़ाज़ी की उपाधि मिली होगी उसने जरूर यह साबित किया होगा कि उसने या तो काफ़िरों को चाहे जैसे हो मुसलमान बनाया या फिर उनपर ज़ुल्मोसितम ढाये या फिर उनका क़त्ल
किया।
इसी से अनुमान लगाइए कि #औरंगज़ेब को
#ग़ाज़ीपीर क्यों कहा जाता है या फिर #ग़ाज़ियाबाद या #ग़ाज़ीपुर जिन महापुरुषों के नाम पर हैं उन महापुरुषों ने क्या-क्या और कितने महान काम किए होंगे!
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home