Saturday, July 16, 2016

आओ खेलें इस्लाम-इस्लाम, हो रहा अंदर-बाहर क़त्लेआम

आओ खेलें इस्लाम-इस्लाम

चलो पढ़ते हैं हदीसो क़ुरआन
जाये भाड़ में कबीर-ओ- कलाम
अपना प्यारा हो वानी बुरहान
आओ खेलते हैं इस्लाम-इस्लाम।
*
कहते हैं सब सलाम-सलाम
न छोड़े कोई काम हराम
शरीफ़ों की जुबान है जाम
आओ खेलते हैं इस्लाम-इस्लाम।
*
इंसानियत का बजा रहा ढोल इंसान
बाज़ार में है छाया सच्चा मुसलमान
जो लाये यज़ीद का सच्चा पैग़ाम
आओ खेलते हैं इस्लाम-इस्लाम।
*
चलो पढ़ते हैं हदीसो क़ुरआन
हो रहा अंदर-बाहर क़त्लेआम
इंसान से लड़े वो सच्चा मुसलमान
कब तक खेलेंगे इस्लाम-इस्लाम?

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