Thursday, August 4, 2016

जब नागार्जुन को नहीं छोड़ा तो नामवर को कैसे बख्श देते?

कम्युनिस्टों ने जो सलूक राहुल-बाबा नागार्जुन-रामविलास शर्मा के साथ किया वही नामवर सिंह के साथ भी किया...
बधाई हो डॉ नामवर सिंह जी!
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एक ज़माने में महान इतिहासविद्-साहित्यकार-घुमक्कड़ बहुभाषी महापंडित त्रिपिटिकाचार्य राहुल सांकृत्यायन को कम्युनिस्ट पार्टी ने संगठन से निकाल दिया था...
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उसी पार्टी के एक सदस्य(अब दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर) ने बाबा नागार्जुन के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया था कि वे पार्टी लाइन से हटकर साहित्य-सृजन कर रहे हैं...
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उसी कम्युनिस्ट पार्टी की पहल पर बाकी सेकुलर-वामी गिरोह ने नामचीन आलोचक डॉ रामविलास शर्मा के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी कर उनपर भगवाकरण का आरोप लगाया जब वे वेदों और भारतीय भाषाओं पर नितान्त मौलिक उद्भवनाएं दे रहे थे...
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और एक कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लेखक संघ ने हिंदी के सर्वाधिक चर्चित वामपंथी आलोचक डॉ नामवर सिंह से उस दिन अपने को असम्बद्ध घोषित किया जिसके अगले दिन (28.7.2016) वे अपने जीवन के 90 वर्ष पूरे कर रहे थे और उनके सम्मान में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने एक गोष्ठी का आयोजन किया था।
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सवाल है आज भारत के वामियों की टीक कहाँ गड़ी है? कल तक अमेरिका को पानी पी पीकर गाली देनेवाले वामियों को किसी-न-किसी अमेरिकी संस्था से अनुदान मिलता है और वहाँ के विश्वविद्यालयों में उनके बाल-बच्चे स्थापित हैं।क्या यह पैसा अमेरिका को गाली देने के लिए मिलता होगा?
हाँ, ऊपर-ऊपर से अमेरिका-विरोध और अंदर से जयचंदी कार्यों के लिए। विश्वास न हो तो पता लगा लीजिये कि जेएनयू के अलावा कहाँ-कहाँ देशभक्ति के नारे लगे थे:
'भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह इंशाल्लाह...'?

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