जनाब अब्दुल मबूद ने फ़रमाया है
जनाब अब्दुल मबूद ने फ़रमाया है:
झूठा और अँधा राष्ट्रवाद आतंकवाद की जननी है।
मेरा जवाब:
सही फ़रमाया। 'आँख' की खेती तो दास कैपिटल और क़ुरआन-हदीसों में होती है जो राष्ट्रवाद-विरोधी हैं, अंतरराष्ट्रीय हैं। अंध-राष्ट्रवादी हिटलर ने 40 लाख को मौत के घाट उतारा, अंतरराष्ट्रीय स्टालिन-माओ ने 6 करोड़ को और उसके पहले से दारुल इस्लाम की चाहत रखनेवालों ने 1400 सालों में इन सबको पीछे छोड़ दिया क्योंकि नरसंहार के बाद हरेक के लिए 72 हूरों और दरया-इ-दारु वाली ज़न्नत की सुपारी सिर्फ़ यहीं ली और दी जाती है।
झूठा और अँधा राष्ट्रवाद आतंकवाद की जननी है।
मेरा जवाब:
सही फ़रमाया। 'आँख' की खेती तो दास कैपिटल और क़ुरआन-हदीसों में होती है जो राष्ट्रवाद-विरोधी हैं, अंतरराष्ट्रीय हैं। अंध-राष्ट्रवादी हिटलर ने 40 लाख को मौत के घाट उतारा, अंतरराष्ट्रीय स्टालिन-माओ ने 6 करोड़ को और उसके पहले से दारुल इस्लाम की चाहत रखनेवालों ने 1400 सालों में इन सबको पीछे छोड़ दिया क्योंकि नरसंहार के बाद हरेक के लिए 72 हूरों और दरया-इ-दारु वाली ज़न्नत की सुपारी सिर्फ़ यहीं ली और दी जाती है।
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