अपराध, अपराधी और पीड़ित की जाति में संबंध: कुछ सेकुलर सवाल
1. क्या जाति बता देने से बलात्कार की शिकार महिला की पीड़ा कम हो जाती है?
2. क्या बलात्कारी की जाति बता देने से उसका अपराध बढ़ जाता है और उसके भविष्य में अपराध नहीं करने की संभावना बढ़ जाती है?
3. अगर ऐसा है तो इसका कोई वैज्ञानिक आधार होगा।किस देश के किस वैज्ञानिक ने यह खोज की?
4. चूँकि बात वैज्ञानिक है तो यह हर जाति के लोगों पर लागू होगी?
5. इसलिए बलात्कार के हर मामले में पीड़िता और आरोपी की जाति सार्वजनिक क्यों नहीं की जानी चाहिये?
6. क्यों न हर तरह के अपराधियों की जाति सार्वजनिक की जाए ताकि अपराधी की जाति और अपराध के बीच का वैज्ञानिक संबंध उजागर हो सके?
7. वैसे भी क्या यह अम्बेडकरी संविधान की मूल भावना(बराबरी) के ख़िलाफ़ नहीं है कि बलात्कार या अन्य अपराधों में पीड़िता-पीड़ित की जाति का खुलासा तभी करें जब वह दलित या 16 % आबादी वाला अल्पसंख्यक यानी मुसलमान हो?
8. इस लिहाज से क्यों न बुलंदशहर में माँ-नाबालिग बेटी से सामूहिक बलात्कार काण्ड को एक मिसाल के तौर पर पेश करते हुए पीड़िताओं और आरोपियों की जाति का खुलासा कर दिया जाए?
9. क्यों न उन टीवी चैनलों-अख़बारों को पुरस्कृत किया जाए जो पीड़िता और आरोपी की जाति-मजहब खोजकर लाएँ?
नोट: इस मामले में पत्रकारिता के नायक-नायिकाओं से बहुत उम्मीद है, खासकर बरखा दत्त, रवीश कुमार, राजदीप सरदेसाई, शेखर गुप्ता और ओम थानवी से।
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