Wednesday, August 3, 2016

भक्ति आन्दोलन जो मोबाइल और इंटरनेट पर सवार है

हज़ार साल पहले जब इस्लामी हमले और अत्याचार शुरू हुए तो दक्षिण भारत से आई भक्ति ने आन्दोलन का रूप ले लिया।सामाजिक-राजनैतिक अनाचार से मुक्ति के लिए भक्तों ने सिर्फ़ भगवान का सहारा लिया, मुल्ले-पंडितों को दरकिनार करते हुए। कबीर ने तो ख़ुद को 'राम का कुत्ता' कहा जिसका काम था राम-प्राप्ति के रास्ते के जंजालों को काट-काटकर साफ़ करना।
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देश में आज भी एक भक्ति आन्दोलन चल रहा है जो मोबाइल और इंटरनेट पर सवार है जिसका सर्वाधिक विरोध वे लोग कर रहे हैं जो टीवी-अख़बार से चिपके हैं।
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कौन हैं ये लोग?
इस्लामी हमलावरों से इनका कोई गुणसूत्र मिलता है क्या?
कौन है आज का 'राम' जिसकी भक्ति ने हज़ार साल बाद फ़िर आन्दोलन की ज्वाला भड़का दी है?
कौन है 'राम का कुत्ता' और क्या हैं उसके रास्ते के जाल-जंजाल?
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इन सवालों के जवाब तलाशने की हिम्मत सिर्फ़ और सिर्फ़ सोशल मीडिया के बुद्धिवीर कर सकते हैं, बुद्धिविरांगनाएं कर सकती हैं... विश्वविद्यालयों में महंती कर रहे मानसिक ग़ुलामी जनित बौद्धिक कायरता के जीवंत कारीगर प्रोफेसर नहीं।

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