Wednesday, August 3, 2016

बुलंदशहर काण्ड: हमलोग बलात्कारियों को पाल-पोसकर बड़ा करते रहे हैं...

बुलंदशहर काण्ड: हमलोग बलात्कारियों को पाल-पोसकर बड़ा करते रहे हैं...

अनेक बार बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार काण्ड पर सीधे-सीधे लिखने की कोशिश की है लेकिन फ़ेल हो गया हूँ।ऐसा लग रहा है मैं भी उस अपराध का हिस्सा हूँ, हम सब अपराधी हो गए हैं। क्योंकि माँ-बेटी दोनों को अपनी हवस का शिकार बनानेवाले लोग सिर्फ़ निजी वजह से ऐसा नहीं कर सकते।
*
इसके लिए वह समाज भी जिम्मेदार है जिसके हमसब अभिन्न अंग हैं और जिसमें बलात्कारियों के माता-पिता ,भाई-बहन, मामा-मामी, मौसा-मौसी, दादा-दादी, नाना-नानी, फूफा-फुआ, पत्नी-भाभी , चाचा-चाची सब शामिल है।
*
जिस समाज में रिश्तों की इतनी बड़ी कड़ी हो उस समाज में सामूहिक बलात्कार करनेवाले किससे मुँह दिखाने लायक रहते होंगे ?
अपराध के बाद वे किसके आँचल में सहारा पाते होंगे?
*
फिर भी ऐसा पापाचार हो रहा है इसका मतलब है कि मानवीय रिश्ते कैंसरग्रस्त हो गए हैं, समाज के मूल्य ढह से गए हैं, सत्ता और धन केंद्रित राजनीति ने लोकतंत्र से लोकाचार का अपहरण कर उसे वोट और भीड़ तंत्र में बदल दिया है।
*
आज चारों तरफ़ वोटरों की दैत्याकार भीड़ दिखाई दे रही है, कानून और संविधान का ढोल बजाया जा रहा है, बिना ओर-छोर वाले स्वार्थ-समुद्र से पोषित राजनीतिक दलदल दिखाई दे रहा है...

लेकिन दुर्भाग्य कि नागरिक दिखाई नहीं दे रहा,
समाज दिखाई नहीं दे रहा...
*
भारत के नागरिक समाज का यह हाल किसने किया है?
हमारे सेकुलर संविधान ने हमें धर्मच्युत किया है,
अधिकार की विदेशी दारू पिलाकर हमें दया-दवा से वंचित कर दिया है, कर्त्तव्य-विरोधी बना दिया है और लोकतंत्र को लम्पट वोटतंत्र में तब्दील कर दिया है जिस कारण नागरिक अब वोटों के महज विक्रेता और राजनीतिज्ञ उसके खरीददार बनकर रह गए हैं।
*
इसलिये बलात्कार पीड़िताओं और बलात्कारियों की जात पूछने से पहले उस संविधान की जात डिकोड करिये जो पूरे समाज को क़ानूनी तौर पर जातभ्रष्ट(कर्त्तव्य-विरोधी) कर रहा है।
*
अगर ऐसा नहीं होता तो खुल्लमखुल्ला 'भारत के टुकड़े-टुकड़े' करनेवालों के साथ खड़े लोग आज
पत्रकारिता के नायक नहीं होते,
प्रतिपक्ष-राजनीति के स्तम्भ नहीं होते,
बॉलीवुड के सुपरस्टार नहीं होते और
विश्वविद्यालय में सम्मानित प्रोफेसर नहीं होते।
जय हिन्द।

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home