Wednesday, August 3, 2016

नायक वही जो यहाँ चार वहाँ 72 दिलाये

नायक वही जो ख़ून की नदी बहाये
नायक वही जो 'पाकिस्तान' बनाये
नायक वही जो नारी को सिर्फ़ मादा बनाये
नायक वही जो यहाँ चार वहाँ 72 दिलाये ?
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कहते हैं किसी भी समुदाय, समाज या देश की असली पहचान उसके नायकों से होती है। ऐसे में भारत के मुसलमानों के नायकों पर एक नज़र डालना कैसा रहेगा?
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कौन हैं ये नायक?
बिन क़ासिम, मोहम्मद ग़ोरी, ग़ज़नी, सिकंदर लोदी, बख़्तियार ख़िलजी, तुग़लक़, औरंगज़ेब, नादिरशाह, जिन्ना, ओसामा बिन लादेन, मुल्ला उमर, बग़दादी, हाफ़िज़ सईद, दाऊद इब्राहिम, याकूब मेमन, अफ़ज़ल गुरु, ज़ाकिर नाइक और बुरहान वानी।
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लेकिन इसी देश में मुल्ला दाऊद, रहमान, बाबा फरीद, बाबा बुल्लेशाह, हब्बा ख़ातून, सलीम चिस्ती, कबीर, जायसी, रहीम, रसख़ान, दारा शिकोह, मीर, नज़ीर, ग़ालिब, ज़फ़र, नज़ीबुल्ला, अशफ़ाक़ुल्ला, मौलाना आज़ाद और अब्दुल कलाम जैसे लोग हो गए जिनके रोम-रोम में प्रेम बसा था, त्याग बसा था, भारत की मिट्टी की खुशबू थी, और जिन्होंने इसी दुनिया को स्वर्ग बनाने के लिए अपना जीवन होम कर दिया।
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इन लोगों ने इस्लामी हमलावरों के अत्याचारों के बरअक्सस आम मुसलमानों के लिए बाकियों के मन में सम्मान और सद्भाव की नदी बहाई। ऐसा नहीं होता तो 1857 के संग्राम के दौरान हिन्दू बहुल फ़ौज़ी बूढ़े और अशक्य बहादुरशाह ज़फ़र को अपना राजा घोषित नहीं करते।
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लेकिन 20वीं और 21वीं सदी के पढ़े-लिखे मुसलमानों ने अपने ऋषि पूर्वजों की बहाई प्रेमगंगा की जगह दारुल इस्लाम के नख़लिस्तान को चुना; सर्वमत समभाव वाले भारत की जगह इस्लामी राज्य पाकिस्तान बनाया तथा संतों-दरवेशों की जगह आततायी- नरसंहारी हमलावरों, शासकों और कठमुल्लों को अपना नायक बनाया।
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आज उनका दिलोदिमाग अरबोईरान में प्रवाहित ख़ून की नदियों से आप्लावित है, मानों कह रहा हो 'धरती पर कहीं स्वर्ग है तो वहीं है, वहीं है'।
और उनपर फ़र्ज़ है कि शेष दुनिया को भी वैसे ही स्वर्ग में बदल डालें।
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आश्चर्य नहीं कि यूरोप और अमेरिका में एशियाई-अफ़्रीकी मूल के ईमानवाले और  ताज़ा-ताज़ा गये इराक़ी-सीरियाई शरणार्थी इस फ़र्ज़ को निभा रहे हैं।ऑरलैंडो-नीस-ब्रुसेल्स-पेरिस के शांत्याकांक्षी (शांति+आकांक्षी) हमले इसके चंद उदहारण हैं।एशिया में यही काम पेट्रो डॉलर और पवित्र किताब के पवित्र गठजोड़ से हो रहा है।बाली-काबुल-कांधार-पेशावर-बलुचिस्तान-कश्मीर-दिल्ली(संसद)-मुम्बई इसके गवाह हैं।

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