टेक्नोलॉजी ने थेथरोलॉजी की दुम पकड़ ली है
■ आदरणीय Dhanan Jay जी ने लिखा है कि आज के जमाने में 'थेथरय' ही जीतता है।
निस्संदेह जीतता रहा है लेकिन अब टेक्नोलॉजी ने थेथरोलॉजी की दुम पकड़ ली है।
■ इसी का परिणाम है सेकुलर-वामी-लिबरल हुज्जतियों की सोशल मीडिया में मिट्टी पलीद होना। लेकिन अख़बार-टीवी में थेथरई का अभी भी बोलबाला है। इसके उदाहरण हैं बरखा दत्त, रवीश कुमार, राजदीप सरदेसाई जैसे लोग और उनकी जोरदार उपस्थिति।
■ फिर भी 105 करोड़ मोबाइल, 50 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन, 35 करोड़ के लगभग स्मार्टफोन और 90 करोड़ युवाओं के भारत में थेथरई युग का अंत बहुत करीब दिख रहा है।
■ वैसे भी अच्छा-अच्छा सोचने में क्या जाता है!
4.12.16 FB
निस्संदेह जीतता रहा है लेकिन अब टेक्नोलॉजी ने थेथरोलॉजी की दुम पकड़ ली है।
■ इसी का परिणाम है सेकुलर-वामी-लिबरल हुज्जतियों की सोशल मीडिया में मिट्टी पलीद होना। लेकिन अख़बार-टीवी में थेथरई का अभी भी बोलबाला है। इसके उदाहरण हैं बरखा दत्त, रवीश कुमार, राजदीप सरदेसाई जैसे लोग और उनकी जोरदार उपस्थिति।
■ फिर भी 105 करोड़ मोबाइल, 50 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन, 35 करोड़ के लगभग स्मार्टफोन और 90 करोड़ युवाओं के भारत में थेथरई युग का अंत बहुत करीब दिख रहा है।
■ वैसे भी अच्छा-अच्छा सोचने में क्या जाता है!
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