Wednesday, December 21, 2016

'पहले मोदी बतायें कि उन्होंने जशोदा बेन को तलाक़ दिया है कि नहीं फिर 'तीन तलाक़' पर बात होगी'!

'पहले मोदी बतायें कि उन्होंने जशोदा बेन को तलाक़ दिया है कि नहीं फिर 'तीन तलाक़' पर बात होगी'!

'तीन तलाक़' और 'समान आचार संहिता' पर
एक कम्युनिस्ट पार्टी के बहुत ही संजीदा नेता की मोदी के लिये पोस्ट:
"बिना कुछ कहे पत्नी को छोड़ देना,तमाम तरह के अधिकारो से वंचित रखना और पूरी जिंदगी अभिशप्त रहने को मज़बूर करना,तलाक़ का कौन रूप है?यह संविधान के किस कानून के तहत आता है?"

क्या महात्मा बुद्ध को भी इस बात की सज़ा नहीं  मिलनी चाहिए कि उन्होंने मुक्ति पाने के अपने कैरियर के चक्कर में पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को भाग्य भरोसे छोड़ दिया था?

चलिये, इस आधार पर तीन तलाक़ को बनाये रखा जाए?
फिर समान नागरिक संहिता की जरुरत ही क्या है?
सभी अंगुलियाँ बराबर थोड़े न होती हैं!
किसी को भी आरक्षण की जरुरत क्या है?
जिसकी लाठी उसकी भैंस, है न ?
ये तो शुद्ध 'Survival of the fittest' का मामला है जो एकदम वैज्ञानिक है।

न सारे क्रांतिकारी मार्क्स या माओ होते हैं न सारे वैज्ञानिक आइंस्टीन।
फिर किसी भी तरह की बराबरी के आंदोलन  की क्या जरुरत है? किसी क्रान्ति की भी क्या जरुरत है?ऐसे में किसी कम्युनिस्ट पार्टी की भी क्या जरुरत है? काँग्रेस -भाजपा-राजद-जदयू-सपा-बसपा की भी कोई जरुरत नहीं।

मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा क्या बुरे हैं? देश इन्हीं से काम चला लेगा!

#मोदी #जशोदा_बेन #तीन_तलाक़
#समान_नागरिक_संहिता #बुद्ध #यशोधरा
17.10.16

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