भक्त' एक सनातनी और सकारात्मक अवधारणा है
'भक्त' एक सनातनी और सकारात्मक अवधारणा है जिसमें पश्चिम के मानसिक ग़ुलाम सेकुलर-वामियों ने अपने सोच-संगत-संस्कार के अनुरूप नकारात्मक अर्थ भरने की वैसी ही साज़िश रची जैसी कि उन्होंने 'भगवा' और 'हिंदुत्व' के साथ किया। उधर नवजागृत युवा भारत ने इसे अपनी उपलब्धि मान गले का हार बना लिया:
हाँ, मैं भक्त, मेरी भावधारा हिंदुत्व और मेरा मन भगवा!
*
कोई मुझे हिन्दू कहे तो गर्व होगा कि नहीं? मुसलमान- पाकिस्तान का क्या हाल है, यह बताने के लिये बस पाकिस्तान नाम ही काफी है। पाकिस्तान बनने के बाद हिन्दुस्तान का हर नागरिक, चाहे उसका कोई भी मजहब और पंथ हो, हिंदुत्व की ही भावधारा का वारिस है।
अब कोई यह कहे कि मुसलमानों को यह बात बुरी लग सकती है तो मेरा जवाब होगा कि अगर उनके मन में 'पाकिस्तान' बसता है तो यह उनकी समस्या है या मेरी?
मन में बजबजाते अनगिन पाकिस्तानों के वे शिकार नहीं हैं तो वे हमारे साथ हैं और हम उनके।
*
एक और बात, 'बात बुरी लग जाएगी' सिंड्रोम के शिकार दामाद और मोहाजिर होते हैं, घरवाले नहीं। मतलब यह कि जो इस धरती को अपना मानेगा वो विमर्श-जिहाद करेगा वर्ना बाकी लोग तो जिहाद और सेकुलर-जिहाद कर ही रहे हैं।
*
यह आकस्मिक नहीं है कि भक्त, भगवा और हिंदुत्व की निर्मल चिंतन-धारा को प्रदूषित करनेवालों को ही राष्ट्र, राष्ट्रवाद, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान से भी दिक्कत है। लेकिन देश के वर्तमान मुसहर जबर्दस्त रूप से मुस्तैद हैं, इस बार किसी मुसबिल्ले को बख़्शने का उनका एकदम इरादा नहीं दिखता है।
13.12
हाँ, मैं भक्त, मेरी भावधारा हिंदुत्व और मेरा मन भगवा!
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कोई मुझे हिन्दू कहे तो गर्व होगा कि नहीं? मुसलमान- पाकिस्तान का क्या हाल है, यह बताने के लिये बस पाकिस्तान नाम ही काफी है। पाकिस्तान बनने के बाद हिन्दुस्तान का हर नागरिक, चाहे उसका कोई भी मजहब और पंथ हो, हिंदुत्व की ही भावधारा का वारिस है।
अब कोई यह कहे कि मुसलमानों को यह बात बुरी लग सकती है तो मेरा जवाब होगा कि अगर उनके मन में 'पाकिस्तान' बसता है तो यह उनकी समस्या है या मेरी?
मन में बजबजाते अनगिन पाकिस्तानों के वे शिकार नहीं हैं तो वे हमारे साथ हैं और हम उनके।
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एक और बात, 'बात बुरी लग जाएगी' सिंड्रोम के शिकार दामाद और मोहाजिर होते हैं, घरवाले नहीं। मतलब यह कि जो इस धरती को अपना मानेगा वो विमर्श-जिहाद करेगा वर्ना बाकी लोग तो जिहाद और सेकुलर-जिहाद कर ही रहे हैं।
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यह आकस्मिक नहीं है कि भक्त, भगवा और हिंदुत्व की निर्मल चिंतन-धारा को प्रदूषित करनेवालों को ही राष्ट्र, राष्ट्रवाद, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान से भी दिक्कत है। लेकिन देश के वर्तमान मुसहर जबर्दस्त रूप से मुस्तैद हैं, इस बार किसी मुसबिल्ले को बख़्शने का उनका एकदम इरादा नहीं दिखता है।
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