Tuesday, December 20, 2016

नोटबंदी के बहाने राजीव गाँधी की याद

नोटबंदी के बहाने राजीव गाँधी की याद

1980 के दशक में जब राजीव गाँधी ने कंप्यूटराइज्ड रेलटिकट आरक्षण शुरू कराया था तो शुरू के छह महीने काफी असुविधा हुई थी
(रेलकर्मी कंप्यूटर के अभ्यस्त नहीं थे, लैन-वैन नेटवर्क की अक्सर समस्या रहती थी, मशीनें गरम हो जाती थीं, कर्मचारियों को नौकरी जाने का भय दिखाकर उनसे नियमित विरोध कराया जाता था आदि); और चंद्रशेखर जी के नेतृत्व में समाजवादी-वामी गिरोह और शेष विपक्ष ने वे सभी तर्क दिए थे जो आज नोटबंदी के विरोध में भी दिए जा रहे हैं। राजीव गाँधी तो बस हँसी के पात्र बना दिए गए थे।

उनके प्रति आज श्रद्धा-भाव के साथ-साथ पश्चाताप से भी भरा हुआ हूँ। श्रद्धा इसलिए कि वे एकदम अकेले पड़ गए थे, बुद्धिजीवी तबका अख़बारों और विश्वविद्यालयों का इस्तेमाल उनका माखौल उड़ाने में कर रहा था जबकि मीडिया उनके समर्थकों की पहुँच से बाहर था।

पश्चाताप इसलिए कि मैं भी उनका माखौल उड़ाने वालों में शामिल था, तब खाँटी वामपंथी था, शक्ल और अक़्ल दोनों से।

मोदी कितने भाग्यशाली हैं कि आज करोड़ों सोशल मीडिया-योद्धा उनके साथ खड़े हैं!इस सोशल मीडिया के लिए जरूरी आधार-टेक्नोलॉजी से भारत का पहला परिचय कराने वाले राजीव गाँधी ही थे।

मोदी और केजरीवाल दोनों ही सोशल मीडिया-मोबाइल पर सवार होकर शिखर पर पहुँचे हैं। क्या वे राजीव गाँधी को मन- ही- मन धन्यवाद नहीं देते होंगे?
14.12

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