संता: बाज़ारवाद और समाजवाद क्या बला हैं?
संता: प्राजी, बाजारवाद और समाजवाद क्या बला हैं?
बंता: जो गरीबों को आत्मनिर्भर बनाये उसे बाजारवाद कहते है।
संता: ऐसा क्यों?
बंता: गरीब आत्मनिर्भर हुए तो बाजार में माल बिकेंगे और माल बिकेंगे तो माल के उत्पादक मालिक और मजदूर समृद्ध होंगे और देश समृद्ध होगा।
संता: और समाजवाद ?
बंता: जो गरीबों को दान पर महज ज़िंदा रखे।
संता: मतलब?
बंता: धरना-प्रदर्शन-तालाबंदी-आगजनी-दंगे-लूट-अपहरण और वोट सबके लिए गरीबी जरूरी है।
संता: समझा नहीं।
बंता: भई, समृद्धि आते ही लोग बाजार की तरफ भागने जो लगते हैं।
संता: फिर भारत में क्या है?
बंता: वोटबैंक के लिए समाजवाद, बाकी के लिए बाजारवाद।
8.12.16
बंता: जो गरीबों को आत्मनिर्भर बनाये उसे बाजारवाद कहते है।
संता: ऐसा क्यों?
बंता: गरीब आत्मनिर्भर हुए तो बाजार में माल बिकेंगे और माल बिकेंगे तो माल के उत्पादक मालिक और मजदूर समृद्ध होंगे और देश समृद्ध होगा।
संता: और समाजवाद ?
बंता: जो गरीबों को दान पर महज ज़िंदा रखे।
संता: मतलब?
बंता: धरना-प्रदर्शन-तालाबंदी-आगजनी-दंगे-लूट-अपहरण और वोट सबके लिए गरीबी जरूरी है।
संता: समझा नहीं।
बंता: भई, समृद्धि आते ही लोग बाजार की तरफ भागने जो लगते हैं।
संता: फिर भारत में क्या है?
बंता: वोटबैंक के लिए समाजवाद, बाकी के लिए बाजारवाद।
8.12.16
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