भागलपुर में अब दंगा होना लगभग असंभव है चाहे और जो हो जाए
जानकार कहते हैं कि भागलपुर में अब दंगा होना लगभग असंभव है चाहे और जो हो जाए। 2002 के बाद गुजरात में भी दंगे कहाँ हुए!
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बात उस दौर की है जब प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने राममंदिर का ताला खोलवा दिया था और विश्व हिन्दू परिषद का रामशिला पूजन हो चुका था। बिहार में काँग्रेस की सरकार थी।
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कहते हैं कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री महोदय ने अपने पाले हुये मुसलमान गुण्डों को जेल से बाहर करवा दिया। उद्देश्य था हमेशा की तरह शहर में छोटे-मोटे अपराध करवाकर वोटों का ध्रुवीकरण करवाना, पार्टी को फिर से बहुमत दिलाना और अपने बलबूते मुख्यमंत्री बनना।
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गुण्डों ने तो अपना काम वफादारी से कर दिया। उधर आसपास के गावों में यह अफवाह फैल गई कि यूनिवर्सिटी के होस्टलों और आसपास के लॉजों में रहनेवालों लड़कों की हत्या कर दी गयी है, लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया है, आदि।
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बस क्या था, गाँववाले (ज्यादातर गंगौत और यादव समुदायों के लोग) रातोंरात शहर में आये, मुस्लिम बस्तियों को घेर लिया, जो दिखा मार दिया गया। गैरसरकारी स्रोतों के अनुसार 3000 से ज्यादा लोग मारे गए , सरकारी आंकड़ा लगभग 1000 का है।
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चुनाव हुये, राज्य में काँग्रेस से निकाले गए बागी नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह के जनता दल को बहुमत मिला और लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बने। भागलपुर के दंगाई बाद में जनता-दली हो गए। जब लालू प्रसाद ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई तो वे राज-दी भी हो चले। बाद में लालू प्रसाद गरीब, पिछड़ा और अल्पसंख्यकों के मसीहा के रूप में जाने गए।
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भागलपुर के किसी दंगाई को कोई गंभीर सजा नहीं हुई। शहर का विश्वविख्यात टसर सिल्क उद्योग नष्ट हो गया। तब से अबतक भागलपुर में लाख कोशिशों के बावजूद दंगा नहीं हो पाया। 2002 के बाद गुजरात का भी यही हाल है जबकि पहले वहाँ पर्व-त्योहारों की तरह दंगे होते थे।
10.12
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बात उस दौर की है जब प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने राममंदिर का ताला खोलवा दिया था और विश्व हिन्दू परिषद का रामशिला पूजन हो चुका था। बिहार में काँग्रेस की सरकार थी।
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कहते हैं कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री महोदय ने अपने पाले हुये मुसलमान गुण्डों को जेल से बाहर करवा दिया। उद्देश्य था हमेशा की तरह शहर में छोटे-मोटे अपराध करवाकर वोटों का ध्रुवीकरण करवाना, पार्टी को फिर से बहुमत दिलाना और अपने बलबूते मुख्यमंत्री बनना।
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गुण्डों ने तो अपना काम वफादारी से कर दिया। उधर आसपास के गावों में यह अफवाह फैल गई कि यूनिवर्सिटी के होस्टलों और आसपास के लॉजों में रहनेवालों लड़कों की हत्या कर दी गयी है, लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया है, आदि।
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बस क्या था, गाँववाले (ज्यादातर गंगौत और यादव समुदायों के लोग) रातोंरात शहर में आये, मुस्लिम बस्तियों को घेर लिया, जो दिखा मार दिया गया। गैरसरकारी स्रोतों के अनुसार 3000 से ज्यादा लोग मारे गए , सरकारी आंकड़ा लगभग 1000 का है।
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चुनाव हुये, राज्य में काँग्रेस से निकाले गए बागी नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह के जनता दल को बहुमत मिला और लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बने। भागलपुर के दंगाई बाद में जनता-दली हो गए। जब लालू प्रसाद ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई तो वे राज-दी भी हो चले। बाद में लालू प्रसाद गरीब, पिछड़ा और अल्पसंख्यकों के मसीहा के रूप में जाने गए।
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भागलपुर के किसी दंगाई को कोई गंभीर सजा नहीं हुई। शहर का विश्वविख्यात टसर सिल्क उद्योग नष्ट हो गया। तब से अबतक भागलपुर में लाख कोशिशों के बावजूद दंगा नहीं हो पाया। 2002 के बाद गुजरात का भी यही हाल है जबकि पहले वहाँ पर्व-त्योहारों की तरह दंगे होते थे।
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