स्वामी विवेकानंद आज यही कहतेः हे जिन्दा कंकालो, आपने तो पूरे भारत को ही अजायबघर बना डाला !
स्वामी विवेकानंद आज यही कहतेः हे जिन्दा कंकालो, आपने तो पूरे भारत को ही अजायबघर बना डाला !
1. भारत के ज्यादातर पढ़ुआ समाज की स्थिति यह है कि पश्चिम से असहमति के लिए भी ये जमूरे वहीं से उद्धरण लेते हैं।इनका आत्मविश्वास उस बंदर से भी कम है जो मदारी के इशारे पर नाच दिखाता है ।
2. इनके भेजे में एक छोटी सी बात भी नहीं घुस रही कि 100 करोड़ मोबाइल कनेक्शन, 30 करोड़ इंटरनेट यूजर, 20 करोड़ स्मार्ट फोन, 30 करोड़ मध्यवर्ग और 65-70 प्रतिशत युवा आबादी वाले देश में अब लोगों को अंधेरे में रखना संभव नहीं है।
3. भारत तो भारत, अब इंडिया का भी एक तबका आभिजात्य वर्ग की मानसिक गुलामी को डिकोड कर रहा है।
4. विवेकानंद कहते थे: हे आभिजात्य वर्ग के लोगों, अगर तुम नहीं बदले तो अजायबघर में रखने लायक हो जाओगे।आज भी जिन्दा कंकाल जैसे ही हो ।
5. स्वामी जी आज जिन्दा होते तो एक बात और कहते: हे जिन्दा कंकालों ! आपने तो पूरे भारत को ही अजायबघर बना डाला। आपको हमने कम करके आँका । लेकिन इंटरनेट और मोबाइल को आप धूल नहीं चटा पाओगे ।
1. भारत के ज्यादातर पढ़ुआ समाज की स्थिति यह है कि पश्चिम से असहमति के लिए भी ये जमूरे वहीं से उद्धरण लेते हैं।इनका आत्मविश्वास उस बंदर से भी कम है जो मदारी के इशारे पर नाच दिखाता है ।
2. इनके भेजे में एक छोटी सी बात भी नहीं घुस रही कि 100 करोड़ मोबाइल कनेक्शन, 30 करोड़ इंटरनेट यूजर, 20 करोड़ स्मार्ट फोन, 30 करोड़ मध्यवर्ग और 65-70 प्रतिशत युवा आबादी वाले देश में अब लोगों को अंधेरे में रखना संभव नहीं है।
3. भारत तो भारत, अब इंडिया का भी एक तबका आभिजात्य वर्ग की मानसिक गुलामी को डिकोड कर रहा है।
4. विवेकानंद कहते थे: हे आभिजात्य वर्ग के लोगों, अगर तुम नहीं बदले तो अजायबघर में रखने लायक हो जाओगे।आज भी जिन्दा कंकाल जैसे ही हो ।
5. स्वामी जी आज जिन्दा होते तो एक बात और कहते: हे जिन्दा कंकालों ! आपने तो पूरे भारत को ही अजायबघर बना डाला। आपको हमने कम करके आँका । लेकिन इंटरनेट और मोबाइल को आप धूल नहीं चटा पाओगे ।
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