देखिए, आज विचार फ्री है तो तथ्य भी बहुत महँगा नहीं है
कुछ लोग देश तो क्या अपनी निजी समस्याओं के लिए भी पूँजीवाद, मोदी और 'हिन्दू-आतंक' को कोस रहे हैं।उनके लिए कुछ यथार्थ-अमरवचन पेश हैं:
बिहार में नक्सलवारी आंदोलन वहां चला जहाँ कृषि व्यवस्था बेहतर थी यानी जहाँ सापेक्षिक समृद्धि थी।
आर्थिक रूप से समृद्ध पंजाब में खलिस्तान आंदोलन चला ।
जहाँ हिन्दू नगण्य थे वहाँ मुस्लिम आतंकवाद खूब चला और चल रहा है ।
30000 करोड़ सालाना से ज्यादा का धंधा है आतंकवाद और अलगाववाद का।
जहाँ बाजार नहीं था वह स्वर्ग-देश यानी सोवियत संघ इतिहास बन चुका है।
चीन का बाजारीकरण भारत से अधिक तेजी से हुआ है।
दिल्ली का दंगा और भागलपुर का दंगा सेकुलर है और गुजरात वाला कम्युनल ।
देखिए, आज विचार फ्री है तो तथ्य भी बहुत महँगा नहीं है ।
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