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नाग की पूजा माने क्या?
आज मैं भारत-व्याकुल
फेसबुक तो पोस्टकार्ड है!
मेरा सर गंजा है... तो क्या इसे काट कर फेंक दें?
अब न रोके कोई, अब न टोके कोई
प्रिय सेकुलर शांतिवीर/वीरांगना मित्रो,
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Saturday, August 22, 2015
आज बोलने को बेताब क्यों?
सदियों से चुप थी
जो
आत्मविस्मृत
आत्महंता आस्था ---
जैसे
घुप अंधेरे जंगल के
बेजान हरे पेड़ ---
आज बोलने को बेताब क्यों?
posted by U&Me |
8:55 PM
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