फेसबुक तो पोस्टकार्ड है!
कोई सीधे तो कोई घूमाकर पूछता है---
भई,
क्यों आग उगलते हो ?
पहले तो ऐसे न थे भक्त।
जोड़ो,
समाज को तोड़ो मत।
मौन मेरा चिग्घाड़ता है---
उड़ाते धज्जियाँ नहीं क्यों
मेरे तथ्य और तर्क की
मंशा और शंका की?
फेसबुक तो पोस्टकार्ड है
बात-पता साथ-साथ है
फिर क्यों बंद लिफाफे में
आपका जवाब है?
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